अब अंतरिक्ष में बनेगी बिजली, तारों बगैर धरती पर पहुंचेगी

टोक्यो. जापान सौर ऊर्जा से अंतरिक्ष में बिजली बनाएगा और उसे तारों के बगैर धरती पर भेजेगा। उसने नई तकनीक विकसित की है, जो इसे मुमकिन करेगी। इस तकनीक में सैटेलाइट सूरज की रोशनी को बिजली में बदलकर उसे माइक्रोवेव्स के रूप में पृथ्वी पर भेजेगा। बिजली को खास एंटीना के जरिए ग्रहण किया जाएगा।
जापान स्पेस सिस्टम्स की ओर से विकसित तकनीक का नाम ‘ओहिसामा’ (सूरज का जापानी नाम) रखा गया है। परियोजना के तहत 180 किलोग्राम वजन का सैटेलाइट 22 वर्गफीट का सोलर पैनल लेकर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। पैनल सूरज की रोशनी को कैच कर बैटरी में चार्ज करेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक सैटेलाइट करीब 400 किमी ऊंचाई से फिलहाल एक किलोवाट बिजली ही भेजेगा। अभी यह परीक्षण मिशन है। अमरीका ने 2020 में इसी तरह का प्रयोग किया था, लेकिन लागत ज्यादा होने सेप्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ाया गया।

जापानी वैज्ञानिकों का कहना है कि साधारण सोलर पैनल में सूरज की ऊर्जा को बिजली में बदलकर तारों के जरिए भेजा जाता है, लेकिन अंतरिक्ष से भेजी जाने वाली बिजली माइक्रोवेव्स में बदलकर वायरलेस तरीके से भेजी जाएगी। इस तकनीक का मकसद सूरज की ऊर्जा का अधिकतम इस्तेमाल करना है, ताकि पृथ्वी पर स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति बढ़ाई जा सके।
600 वर्ग मीटर क्षेत्र में 13 रिसीवर
हालांकि जापान स्पेस सिस्टम्स (जेएसएस) ने सैटेलाइट की लॅांचिंग की तारीख नहीं बताई है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यह अप्रेल के बाद लॉन्च किया जा सकता है। जेएसएस के सलाहकार कोइची इजिची के मुताबिक अंतरिक्ष से बिजली ग्रहण करने के लिए 600 वर्ग मीटर क्षेत्र में 13 रिसीवर तैयार किए गए हैं। अगर प्रयोग कामयाब रहा तो बिजली संग्रहण की क्षमता बढ़ाई जाएगी।