34 महिला समूहों ने आजीविका बाड़ी में लगा दिए 2 हजार पौधे परंपराओं को सहेज कर किया पर्यावरण सरंक्षण
रायपुर के पास तिल्दा-नेवरा की बिलाड़ी ग्राम पंचायत में सालों पहले 15 एकड़ जमीन पर गांव के लोगों ने महिला समूह बनाकर खेती करना शुरू किया था। उसी जमीन को अब उनकी पीढिय़ा सींच रही है और इसकी बागडोर 34 समूहों की 352 महिलाओं ने संभाल रखी हैं। इन महिलाओं का नेतृत्व कर रही मीरा कनोजे कहती हैं कि, हमने इस जमीन पर आम, कटहल, अमरूद और मुनगा के 2 हजार पौधे की बाड़ी लगाई है जो पर्यावरण के सरंक्षण में तो मदद करते ही है साथ ही 352 महिलाओं को रोजगार भी दे रहे है। बाड़ी में ही मीरा ने चेकडेम बनाया है जिससे उनकी जमीन को बारह माह पानी मिलता रहे।
जैम और मुनगा पावडर से हो रही आय
मीरा ने बताया कि बाड़ी से मिलने वाले अमरूद से हम हाथ से ही जैम बनाते है। उसी तरह मुनगा पत्तियों को सुखाकर उसका पावडर बनाते है और इन दोनों उत्पाद को बाजार में बेचते है, जिससे होने वाली आय से इन महिलाओं के घर का खर्च चलता है। मीरा कहती हैं कि मुझे अपनी बहनों को देखकर बहुत खुशी होती है कि जो कभी घर के बाहर नहीं जाती थी आज वो आत्मनिर्भर बन गई है।
लाल पोहा बनाती है, मिले है अवार्ड
समूह की यह महिलाएं 2 एकड़ में बरहासाल धान लगाती है, जिससे लाल पोहा बनता है। आर्गेनिक खेती करने से उनके उत्पाद की मांग भी है। इस कारण इनका यह पोहा पूरा बिक जाता है। मीरा को राज्य के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और महिला बाल विकास द्वारा आजीविका के क्षेत्र में इतनी महिलाओं को प्राकृतिक तरीके से खेती करने के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है।
बड़े पैमाने पर करने की शुरुआत
बीते 4 साल से शुरू इस काम को अब मीरा अपने समूह के जरिए बड़े पैमाने पर करना चाह रही है। इसके लिए मीरा ने कई प्रशिक्षण भी लिए है। वो घर-घर जाकर लोगों को किचन गार्डन लगाने और पेड़- पौधों की सूखी पत्तियों से खाद बनाने के लिए प्रेरित करती है। अब मीरा गोठान में भी वर्मी कंपोस्ट बना रही है। इन सारे काम के लिए उन्हें अपने पुरूष सहयोगियों का साथ मिलता है।
07:43 PM