खुद को जिंदा साबित करने 70 साल की महिला लगा रही चक्कर, बोलीं- मैं मरी नहीं, देखों मेरी सांस चल रहीं
देखो साहब मैं जिंदा हूं.. गांव के सरपंच-सचिव मुझे मरा हुआ बता रहे हैं। राशन कार्ड से मेरा नाम तक कटवा दिया है। दो जून की रोटी के लाले पड़ गए हैं। बुजुर्ग हूं। शरीर में अब इतनी ताकत नहीं बची कि सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर न्याय की गुहार लगाऊं। कैसे साबित करूं साहब कि अब भी मेरी सांसें चल रहीं हैं। मैं अब भी जिंदा हूं।
यह दर्द है फिंगेश्वर ब्लॉक के सेमराडीह गांव में रहने वाली 70 साल की बुजुर्ग गैंदी बाई का। कैसे टेबल पर बैठे-बिठाए सरकारी काम किए जाते हैं, गैंदी इसका जीता-जागता उदाहरण है। हुआ यूं कि ग्राम पंचायत ने पिछले महीने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जनपद को जानकारी भेजकर राशन कार्ड से नाम भी कटवा दिया। अब खुद को जिंदा साबित करने वे दर-दर की ठोंकरे खा रही हैं। जानकारी मिलने पर पत्रिका मौके पर पहुंचा। गैंदी बाई की उम्र इतनी अधिक हो चुकी है कि वे ठीक से बोलने और सुनने में भी असमर्थ हैं। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। इस महीने जब सरकारी राशन दुकान गईं तो पता चला कि वह मर चुकी हैं। कार्ड से उनका नाम काट दिया गया ह। अब उन्हें राशन नहीं मिलेगा। जीते-जी खुद को मरा हुआ साबित किए जाने से वे हतप्रभ थीं। उन्होंने कई दफे कहा कि सामने ही तो खड़ी हूं। जिंदा हूं। इस पर उन्हें जवाब मिला कि ग्राम पंचायत जाइए। वहीं से आपको मृत घोषित किया गया है।
नाम जुड़वाने जनपद गए तो लौटाया, शाखा ने भी न सुनी
मामले में प्रशासन की लापरवाही भी उजागर हुई है। बताते हैं कि राशन नहीं मिलने के बाद गैंदी बाई के परिवारवाले शिकायत लेकर सरपंच-सचिव के पास गए थे। इसके बाद सरपंच वापस नाम जुड़वाने जनपंद दफ्तर गए। यहां से उन्हें बिना काम किए ही लौटा दिया गया। फिर परिवार गैंदी बाई को लेकर जिला मुख्यालय गरियाबंद स्थित खाद्य शाखा लेकर गए। यहां भी उन्हें केवल यही बताया गया कि ग्राम पंचायत से जारी सूची के आधार पर ही उनका नाम राशन कार्ड से काटा गया है। जीता-जागता आदमी अपने जीवित होने का प्रमाण दे रहा है, खाद्य शाखा के अफसरों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।
ये कैसा खौफ…साहब बुरा मान गए तो हम फंसेंगे
प्रशासन जनता की सेवा और सहायता के लिए काम करता है। काम अगर गलत हो या सही तरीके से न किया जाए तो लोकतंत्र में आवाज उठाने की पूरी आजादी भी है। फिर न जाने क्यों लोग खुद के साथ गलत होने पर भी कुछ बहने से कतराते हैं। दरअसल, इस मामले को लेकर हमने तब पीड़ित बुजुर्ग के परिवारवालों से बात करने की कोशिश की तो उनका कहना था, मत छापिए। साहब बुरा मान गए तो फालतू में फंस जाएंगे। नाम न छापने की शर्त पर भी सिर्फ इतना ही कहा कि सेल्समैन ने राशन देने से मना कर दिया था। पूछने पर बताया कि गैंदी बाई का देहांत हो गया है। जबकि, वे जीवित हैं।
गलती यहां… 11 मृत लोगों में गैंदी का नाम जोड़ दिया, सूची भी जारी कर दी
पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि इस लापरवाही के लिए सीधे तौर पर ग्राम पंचायत जिम्मेदार है। सरकारी राशन दुकान को ग्राम पंचायत रोहिना ने 11 मृत लोगों की सूची भेजी थी। इसमें जीवित गैंदी बाई का नाम भी जोड़ दिया गया था। ये गलती किससे हुई, ये जो जांच होने पर ही पता चलेगा। लेकिन, इसमें सरपंच और सचिव की भी बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। मृत लोगों की यह सूची पहले सरपंच और सचिव के पास गई थी। उनके हस्ताक्षर के बाद ही सूची राशन दुकान को भेजी गई। सेल्समैन ने इसी आधार पर गैंदी बाई को खाली हाथ लौटा दिया।
जिम्मेदारों ने कहा…
ग्राम पंचायत रोहिना की सचिव दीनूराम यदु ने बताया कि गैंदी बाई का नाम शायद वापस राशन कार्ड में जोड़ दिया गया है। आप सरपंच से पता करवा लीजिए। हम मान रहे हैं कि हमारी गलती है। जल्दबाजी में ऐसा हो गया था।
राशन वितरक पवन कुमार महिलांगे ने कहा कि ग्राम पंचायत ने मृत लोगों की जो सूची भेजी थी, उसमें गैंदी बाई का नाम भी था। इसी आधार पर राशन रोका। कौन जिंदा है और कौन नहीं! ये ग्राम पंचायत जाने। मृतकों की सूची वहीं से जारी होती है।