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यह महिलाएं वर्कशॉप में करती हैं हैवी वर्क, लेथ मशीन यही चलाती है‍ं

एसईसीएल कोरबा के वर्कशॉप में 86 महिलाएं करती हैं हैवी वर्क

कोरबा. एसईसीएल में पहले महिलाओं से हैवी वर्क नहीं कराया जाता था, लेकिन समय के साथ यह परिपाटी बदली और अब सेंट्रल वर्कशॉप में 86 महिलाओं अपने हुनर का लोहा मनवा रही हैं। यह महिलाएं वर्कशॉप में लेथ मशीन, लोहा कटिंग, फेब्रिकेशन, डंपर इंजन, कन्वेयर रोलर, गेयर बाक्स, इलेक्ट्रिकल मोटर व ट्रांसफार्मर वाइंडिंग की रिपेयरिंग जैसे हैवी वर्र्क कुशलता के साथ करती हैं।

एसईसीएल में कार्यरत इन महिलाओं को पति के बाद अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। आम तौर पर अनुकंपा नियुक्ति में कम शिक्षित महिलाओं को चपरासी, माली या फिर भृत्य का काम दिया जाता रहा है,पर अब इसमें बदलाव किया गया है। सेंट्रल वर्कशॉप में लेथ मशीन सिर्फ महिलाओं द्वारा ही चलाया जाता है। कार्य के प्रति निष्ठा, लगन और इच्छाशक्ति के साथ काम शुरु करने वाली महिला कामगार बतातीं है कि शुरुआत में तो कई दिक्कतें आईं, लेकिन अब वे पुरुष कामगार से कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।

मिला मौका

एसईसीएल में महिलाओं को पहले सीधे तौर पर हैवी काम नहीं कराया जाता था। 2004 में सबसे पहले सेंट्रल वर्कशॉप में महिलाओं को काम करने का मौका दिया गया। लगातार अच्छे परिणाम आने पर कंपनी ने लगातार महिलाओं की संख्या बढ़ाई। अब यह संख्या 100 के करीब भी पहुंचने वाली है।

एसईसीएल में महिला कामगार एसईसीएल में कुल महिला कामगारों की संख्या अब तीन हजार के करीब पहुंच चुकी है। इनमें एक्जीक्यूटिव स्तर पर 155, मासिक वेतन दर पर 878 , दैनिक वेतन भोगी 1841 और कंपनी ट्रैनी के पद पर 54 महिला कामगार कार्यरत हैं। जो कि अलग-अलग खदानों में सेवाएं दे रही हैं।

edited07:00 PM

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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