दौडऩे के शौक से आकर्षि बनी देश की स्टार शटलर
छत्तीसगढ़ की बैडमिंटन खिलाड़ी ने तय किया दुनिया की 47वें नंबर तक पहुंचने का सफर
छत्तीसगढ़ की अंतरराष्ट्रीय युवा बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षि कश्यप, जिसने अपने बचपन के तेज दौडऩे के शौक को आज कॅरियर बना लिया है। आकर्षि का नाम देश की उभरती स्टार शटलर के रूप में गिना जाता है। वह अपने दौडऩे की आदत की वजह से बैडमिंटन खेलने लगी और अपने खेल के प्रति जुनून और समर्पण के कारण आकर्षि 21 साल की उम्र में ही दुनिया की 47वीं नंबर की बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का सफर तय कर चुकी है।
आकर्षि के दौडऩे की आदत व शौक को देखकर उसके माता-पिता उसे इंडोर गेम में खेलने भेजने लगे। वह बैडमिंटन खेल में अच्छा करने लगी। आकर्षि ने हॉल ही में गुजरात में हुए 36वें नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर अपने प्रदेश को गौरवान्वित किया है। वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में बैडमिंटन के मिक्स्ड टीम इवेंट उसने रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है
आकर्षि बहुत तेज दौड़ती थी
आकर्षि की मम्मी अमिता कश्यप बताती हैं कि जब आकर्षि 6 साल की थी तो हमारे साथ वॉकिंग पर जाती थी और वहीं पर वह बहुत तेज दौड़ लगाती थी। शुरू में हम उसे एथलेटिक्स गेम्स में भेजने के लिए सोच रहे थे, लेकिन वहां व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण हमने उसे इंडोर गेम में भेजा, जहां आकर्षि बैड़मिंटन में बहुत अच्छा खेलने लगी। उसके बाद आकर्षि को खेल में एक दिशा मिली और उसने पढ़ाई के साथ ही खेल में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय किया।
अनुभव बहुत काम आता है
आकर्षि का कहना है कि अनुभव से ही बड़ा खिलाड़ी बना जा सकता है। इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। 21 साल की उम्र में ही ऊंचा मुकाम हासिल के संबंध पर उनका कहना है कि जब मैं छोटी थी तो टॉप प्लेयर्स के मैच देखती थी। सीनियर्स के साथ खेलती थी। मैंने लडक़ों के साथ ज्यादा खेला है इससे मेरे खेल में निखार और तेजी आई।
करियर बनाना है तो रोज प्रैक्टिस जरूरी
आकर्षि कहती है कि शौकिया तौर पर आप बैडमिंटन खेलना किसी भी उम्र में शुरू कर सकते है, लेकिन इसे प्रोफेशन बनाना है तो बचपन से ही कड़ी मेहनत करना होगा। जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है, क्योकि यहीं आपकी सफलता की दिशा तय करता है।
गेम स्टाइल में किया परिवर्तन
खेलो इंडिया की जूनियर ओलंपिक पोडियम में शामिल आकर्षि ने अपने गेम स्टाइल में परिवर्तन किया है। उसने बताया कि वह पहले नार्मल तरीके से खेलती थी और ज्यादा आक्रमण नहीं करती थी। लेकिनए अब उसने अपने प्रशिक्षक की सलाह पर खेल स्टाइल और फुटवर्क में बदलाव किया है। अब अटैटिंग स्टाइल बेहर फुटवर्क के साथ खेल रही। गेम स्टाइल बदलने का फायदा भी मुझे मिल रहा है।