असफलता को सफलता में बदल बन गई उम्मीद की “किरण”
पढ़ाई के साथ साथ खेल भारतीय फुटबाल टीम का बनी हिस्सा
टी हुसैन राजिमवाले
बालोद की किरण पिस्दा ने यह सोचकर फुटबाल खेलना शुरू नहीं किया था कि आगे चलकर उन्हें देश का प्रतिनिधत्व करने का गौरवान्वित मौका मिलेगा। भाई को फुटबाल खेलता देख किरण ने जोर आजमाइश की और 21 की उम्र तक 14 नेशनल उनके खाते में दर्ज हो गए। मेहनत और प्रेक्टिक्स से सब संभव नेशनल टीम मेरे खेल को देखने आई। मेरा नाम भी सुझाया गया लेकिन टीम इंडिया में जगह नहीं मिल पाई। थोड़ी निराशा जरूर हुई लेकिन इसे मैंने पॉजिटिव लिया।
अपनी कमियों पर फोकस किया।
मेहनत और प्रेक्टिस बढ़ाकर लक्ष्य के ओर बढ़ने लगी। फिर वो दिन भी आया जब साउथ एशियन फुटबॉल चैंपियनशिप (सैफ) के लिए मेरी जगह पक्की हो गई। सीनियर भारतीय टीम में जगह बनाने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला फुटबॉल खिलाड़ी भी बन गई है। मेरा चयन पुणे में आयोजित इंडिया कैंप में किए गए प्रदर्शन के आधार पर किया गया था।
पढ़ाई बहुत जरूरी है
किरण रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम फाइनल की पढ़ाई कर रही है। उनका कहना है कि खेल के साथ साथ पढ़ाई भी उतनी ही जरूरी है। मैं अब तक 14 से ज्यादा राष्ट्रीय सब जूनियर, जूनियर और सीनियर प्रतियोगिताओं में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुकी हूं। अब मेरा लक्ष्य है कि विदेशी धरती में टीम इंडिया के साथ मिलकर जीत का परचम लहरा सकूं। मां हाउस वाइफ हैं और पिता निर्वाचन कार्यालय में बाबू हैं।
केरला ब्लास्टर्स की टीम में शामिल
स्टेट लीग में 18 गोलकर पहुंची इंडिया टीम तक, किरण पिस्दा ने पिछले दो साल से रायपुर जिला संघ की ओर से स्टेट फुटबॉल लीग में खेलते हुए भारतीय टीम तक का सफर तय किया है। स्टेट लीग में वर्ष 2020-21 में लगातार दो वर्षों तक रायपुर की ओर से खेलते हुए किरण ने लगभग 18 गोल दागे थे, जिसकी बदौलत उसे इंडियन सुपर लीग की टीम केरला ब्लास्टर्स की ओर से खेलने के लिए आमंत्रित किया गया। एक वर्ष से किरण केरला ब्लास्टर्स की टीम में शामिल है। उसने कई टूर्नामेंट में केरला ब्लास्टर्स की ओर से खेलते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इंडिया कैंप में जगह बनाने में कामयाब हुई। इंडिया कैंप के बाद अब उसका चयन भारतीय टीम में किया गया था।