पुरुषों के साथ करती है नेतृत्व, पहले कभी खुद के लिए भी निर्णय नहीं ले पाती थी
CG Gariband News : गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक में रहने वाली 42 साल की निसार बेगम कभी खुद निर्णय नहीं ले पाती थी हर काम करने के पहले पिता या भाई से पूछती थी। यहीं हाल शादी के बाद भी रहा, लेकिन जब ससुराल में घरेलू हिंसा की शिकार हुई तो अपने दो बच्चों के साथ माता-पिता के घर लौट आई। अब वहीं निसार ग्राम पंचायत में महिलाओं का नेतृत्व करती है पुरूषों के साथ बैठकर महिलाओं के हक में निर्णय लेती है। जो काम आज तक पुरूष करते आए थे वो काम अब निसार खुद करती है। इसके लिए कई बार उसके ही समाज के लोगों ने विरोध किया लेकिन निसार ने बिना लोगों की परवाह करें अपने और अन्य महिलाओं के हक की बात समाज और पंचायत के सामने रखी। अब वो महिलाओं के हक की आवाज कलेक्टर तक पहुंचाती है।
बाल विवाह हुआ था फिर छोड़ दिया
निसार का बाल विवाह हुआ था वो लगातार घरेलू हिंसा का शिकार होती रही। दो बच्चे होने पर वे अपने पिता के घर लौट आई। पिता को कहा कि मैं कुछ करना चाहती हूं। लोक आस्था सेवा संस्थान की लता नेताम कहती हैं कि जब निसार के पिता उसे लेकर मेरे पास आए तो वो कुछ भी नहीं बोल पाती थी, मुझे लगा कि यह लडक़ी क्या काम करेंगी? लेकिन टीम ने कहा कि दीदी इसकों एक अवसर देते है । उनको मैंने एक टॉस्क पर भेजा। गांव में जाकर पेसा कानून, ग्राम सभा और पुरूषों के साथ काम करने के तरीकों को जब उससे मुझे आकर बताया तो मुझे लगा कि यह काम कर लेंगी।
विशेष सरंक्षित जाति की महिलाओं को दिलाया न्याय
पीवीजीटी( विशषे सरंक्षण जाति) कमार और भुंजिया जातिे की 5 महिलाओं को गांव के दबंग लोग जमीन नहीं देना चाहते थे। उन महिलाओं के लिए निसार ने काम करना शुरू किया तो निसार के समाज के लोग विरोध करने लगे। फिर वो अन्य जाति के साथ अपने समाज में भी लड़ी। उससे कहा कि मैं महिलाओं के साथ खड़ी हूं।
मेरी खुशी क्या है यह मैं जानती हूं
समाज के लोग जब विरोध करते थे तो निसार यही कहती थी कि मेरी खुशी क्या है यह मैं जानती हूं आप लोग मुझे नहीं बताए। वो समाज और पंचायत के साथ लड़ी। अब वो घर में पिता और भाई के साथ रहती हैं लेकिन सारे निर्णय अब निसार ही लेती है। सिंगल मदर होकर अपने बच्चों को पाल रही है और महिलाओं के लिए कार्य कर रही है।