घर के हर कोने में गूंजता था संगीत, अब बच्चों को इससे जोड़ा तो बहुत कुछ बदल गया
CG Khairagarh News : खैरागढ़ । यह कहानी है एशिया के पहले संगीत विश्वविद्यालय में शास्त्रीय गायन की शिक्षिका डा, श्रुति कश्यप की। वो कहती हैं कि वर्तमान में जिस तरह बच्चे मोबाइल में फोकस होकर बाकी चीजों से दूर हो रहे है तो इन हालातों में हम बच्चों को संगीत से जोडक़र उनका सर्वागीण विकास कर सकते है, क्योंकि जो संगीत में फोकस होता है वो जीवन को बहुत सुकून से जीता है। उसी तरह युवा पीढ़ी में आ रही निराशा को भी संगीत से दूर किया जा सकता है।
तीन साल की उम्र से संगीत सीख रही हूं। घर के हर एक कोने में संगीत रचा-बसा हुआ था। शादी के बाद भी संगीत घराना ही मिला। इससे हुआ यह की अब इसी संगीत से वो बच्चों को निराशा से बाहर निकाल कर उनके जीवन में आशा भर रही हैं। बच्चों की समस्याओं का समाधान कर वो उन्हें जीवन का संतुलन करना सिखा रही है।
मायका और ससुराल संगीत से जुड़ा
बिहार के बड़हिया घराने की श्रुति कहती हैं कि मेरे गुरु(दादा) पंडित चक्रधर मिश्रा से मैंने संगीत की शिक्षा ग्रहण की। उनके बाद मेरे पिता डा, बीएस मिश्रा और मेरे पति डा. दिवाकर कश्यप से मैं शिक्षा ले रही हूं। वो कहती हैं कि संगीत सुनकर ही सकारात्मकता आ जाती है। और गुरु-शिष्य की परंपरा आज भी बनी हुई है।
बहुत परेशानी होने पर संगीत ही सुकून देता है
श्रुति कहती हैं कि यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले बच्चों के साथ भी कई सारी समस्याएं होती है ऐसी ही समस्या एक बच्ची के साथ हो गई कि घर वाले उसकी शादी करना चाह रहे थे और वो किसी और को चाहती थी, लेकिन संगीत ने उसे उस उलझन से बाहर निकाला और आज वो बहुत खुश है और संगीत की शिक्षा ले रही है। इसी संगीत का प्रशिक्षण लेने वाले सारे बच्चे भी अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही निकाल लेते है क्योंकि संगीत उन्हें फोकस कर चीजों को समझने में मदद करता है।