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अनुसूचित जाति के लोगों का हैंडपंप से पानी लेना मना था, कैसे दूर हुई यह खाई जा​निए …

लता ने बदली इस गांव की सूरत, छुआछूत की खाई को पाटा

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का विजय नगर गांव, जहां 10 साल पहले गौंड आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोगों में छूआछूत इस कदर थी कि अनुसूचित जाति के लोग हैंडपंप से पानी नहीं ले पाते थे, यहां तक कि हैंडपंप के पास अपने पीने के पानी का बर्तन भी नहीं रख पाते थे। आदिवासी लोग उन्हें अपने बर्तन में पानी भरकर उनके बर्तन में डालते थे और कोई पुरूष हैंडपंप के पास न रहे तो उस दिन वो प्यासे रह जाते थे। स्कूलों में भी बच्चों के साथ बहुत भेदभाव किया जाता था, लेकिन लोक आस्था सेवा संस्थान की लता नेताम ने छुआछूत की इस खाई को पाटा।

लता ने उस गांव में कई सारे जागरूकता शिविर लगाए, उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी दी और उन लोगों को दूसरे राज्य में भी लेकर गई। लता की इस मेहनत का ही परिणाम है कि आज उस गांव में सभी समानता के साथ रहते है और वहां सारे प्रधानमंत्री आवास बने है किसी का भी कच्चा मकान नहीं है। दशमति नागेश बीते ३ साल से वहां पंच बन रही है। वह पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन गांव के हर कार्य में आगे है।

67 गांवों में कर रही है काम

गरियाबंद की रहने वाली ४२ साल की लता कहती हैं कि हम गांधी जी के विचारधारा को लेकर ही कार्य करते है। गरियाबंद के ५ ब्लॉक में हम कार्य करते है, जिसमें 3 ब्लॉक आदिवासी और 2 ब्लॉक में सामान्य वर्ग के लोग रहते हैं। गांधी जी ने कहा था कि जब विकास अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचेगा तभी राष्ट्र विकास कर सकता है। छूआछूत, स्वास्थ्य शिक्षा और महिलाओं के साथ भेदभाव रहित समाज की स्थापना हो, इस सोच को लेकर हम लोगों तक पहुंचते है। यहीं गांधी जी का सपना भी था।

ग्रामपंचायतों में अब महिलाएं अधिक

गरियाबंद के हाटमहुआ, तेदुबाय, बागमार और पिल्लाकन्हार गांव में विशेष पिछड़ी जनजाति भुंजिया और कमार रहती है। अब इस समुदाय कि महिलाए ग्रामसभा, पंचायत और कलेक्टर ऑफिस जाने लगी है । पहली बार उन्होंने कलेक्टर ऑफिस को देखा। गांधी जी का सपना था कि बिना भेदभाव किए महिलाओं को आगे लाए। उसी सपने पर हम कार्य कर रहे है।

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Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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