प्रदेश का एक अनोखा घर जहां तीन पीढिय़ों से हो रही बापू की पूजा उनके आदर्श ही संस्कार
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के सारंगढ़ में दो अक्टूबर गांधी जयंती पूरे गांव के लिए खास रहती है। यहां के एक परिवार के यहां महात्मा गांधी की जयंती पर गांव के लोग जुटते हैं। सभी लोग महात्मा गांधी की पूजा में शामिल होते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
बापू की पूजा से दिन शुरू होता है
सारंगढ़ का एक दलित परिवार तीन पीढिय़ों से महात्मा गांधी की भगवान की तरह पूजा कर रहा है। इस दलित परिवार की मुखिया वृद्धा बुटी बाई चौहान के दिन की शुरुआत महात्मा गांधी की पूजा के बाद शुरू होती है। इसके लिए बकायदा वृद्धा के पूर्वजों ने घर में ही महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की है। इसके साथ ही पूरे गांव में कुछ भी समस्या होती है तो उसे दूर करने के लिए बुटी बाई सहयोग करती है।
वृद्धा की बेटी घुराई बाई चौहान बताती हैं कि उनके पूर्वजों में बोर्रा चौहान आजादी के पहले से महात्मा गांधी के अनुयायी थे। एक बार गांधी जी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गुडेली और बंजारी पंचायत के बीच में बसे लालाधुर्वा गांव से कवर्धा तक पैदल गए थे। गांधी के विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा घर में स्थापित की, तब से लेकर अब तक महात्मा गांधी की पूजा उनके घर में होती है और उनके बापू के आदर्श, संकल्प और सोच के साथ लोगों को जोडऩे का कार्य कर रहे है।
महात्मा गांधी की पूजा वृद्धा बुटी बाई चौहान के अलावा उनके परिवार के अन्य सदस्य भी करते हैं। वहीं यह बताया जा रहा है कि इस परिवार नान्हू दाई चौहान सारंगढ़ विधानसभा की पहली विधायक भी थी।
प्रतिमा छिनने पर की थी भूख हड़ताल
घुराई बाई चौहान बताती है कि अंग्रेजी हुकूमत में उनके पूर्वज बोर्रा चौहान प्रतिमा को घर में स्थापित किए थे, तब अंग्रेजी हुकूमत के आदेश पर प्रतिमा जब्त कर ली गई थी। इस समय बोर्रा चौहान से प्रतिमा वापस पाने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दिया था। लगातार चले भूख हड़ताल के बाद बिलासपुर से उन्हें प्रतिमा वापस मिली।
जयंती पर रहता है उत्सव का माहौल
दो अक्टूबर गांधी जयंती पूरे गांव के लिए खास रहता है। बताया जा रहा है कि महात्मा गांधी की जयंती पर गांव के लोग इस परिवार के यहां जुटते हैं। अधिकांश लोग महात्मा गांधी की पूजा में शामिल होते हैं। भजन-कीर्तन का भी माहौल बनता है।