बदल रहा बस्तर , बच्चे गुलेल से फैला रहे बीज और युवाओं की टीम बचा रही बेशकीमती वनोपज
दंतेवाड़ा में युवाओं की टीम पतझड़ के सीजन में दक्षिण बस्तर के जंगलों में लगने वाली आग को बुझाती है
Bastar Dantevada=-दंतेवाड़ा के कुछ युवाओं की टीम पतझड़ के सीजन में दक्षिण बस्तर के जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के कार्य में कई सालों से लगे है इसी का परिणाम है कि अब जंगल में आगजनी की घटना कम हो गई है। साथ ही बेशकीमती वनौषधियों व वनोपजों को जल कर नष्ट होने से बचाया जा रहा है।
टीम में अक्षय मिश्रा, दीपक ठाकुर, कमल किशोर रावत, अमित मिश्रा, राजेश बारसा, मनोज कश्यप,, गणेश निषाद, मनोज कुमार, प्रेम कुमार हैं, जिन्होंने वन्य प्राणी संरक्षण कल्याण समिति गठित कर हरियाली व वन्य जीवों को बचाने का प्रयास जारी रखा है। बेशकीमती वनौषधियों व वनोपजों को जल कर नष्ट होने से बचाया जा सके।
जैव विविधता की श्रृंखला बनाने में सहयोग
जैव विविधिता और खाद्य श्रृंखला का पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए सांपों की अहम भूमिका होती है। टीम के सदस्य अक्षय मिश्रा बताते हैं कि पहले लोग सर्प देखते ही उसे मार डालते थे, लेकिन टीम के काम और समझाइश से प्रेरित होने की वजह से सीधे ही रेस्क्यू टीम को कॉल करके बुला लेते हैं। सिर्फ कस्बे ही नहीं, बल्कि अंदरूनी गांवों से भी अब ऐसे कॉल आने लगे हैं। सर्प बचाने के लिए जुनून की हद तक काम करने वाली यह टीम पिछले 8-10 वर्षों में हजारों सर्पों का सुरक्षित रेस्क्यू कर चुकी है।
बच्चे अब गुलेल से फैला रहे बीज
गुलेल लेकर पक्षियों का शिकार करने वाले ग्रामीण बच्चों को समझईश देने का काम भी टीम के सदस्य कर रहे हैं। रचनात्मक दिशा दिखाए जाने से गुलेल का प्रयोग बच्चे अब सीड बॉल यानि विविध प्रजाति के पौधों के बीजों को मिट्टी में सहेज कर छोटी गोलियों के आकार में जंगल की तरफ दूर फेंकते हैं, ताकि इन बीजों का प्रसारण होकर इनसे बारिश के दिनों में नए पौधे अंकुरित हो सकें। टीम के सदस्य सर्प के अलावा पशु-पक्षियों को भी शिकारियों से बचाने के अभियान में जुटे रहते हैं। पिछले कुछ सालों में पक्षियों को फांसने पेड़ों पर लगाए गए जाल और चिपचिपे गोंद युक्त डंडियों को निकलवाकर और पकड़े गए पक्षियों को मुक्त करवाने में काफी कामयाबी मिली है।
—————————————-