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पत्रकार की कलम से= छत्तीसगढ़ में इस बार कई बातें अनोखी हुई,आदिवासी बीजेपी पर मेहरबान

ईश्वरी साहू नाम का एक साधारण मजदूर साजा सीट पर चुनाव जीत गया

बसपा और जोगी कांग्रेस का सूपड़ा साफ
ईश्वरी साहू नाम का एक साधारण मजदूर साजा सीट पर चुनाव जीत गया

रमेश शर्मा (राष्ट्रीय सहारा)
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार कई बातें अनोखी हुई हैं। पहली बार बहुजन समाजवादी पार्टी का सुपड़ा साफ हो गया है और पिछले 20 वर्षों से असरदार भूमिका निभाने वाली जोगी जनता कांग्रेस भी परिदृश्य से गायब हो गई है। जोगी कांग्रेस की तरफ से पाटन सीट पर अमित जोगी भी चुनाव हार गए।

राज्य के चुनाव परिणाम में बीजेपी को इस बार 46.27 प्रतिशत वोट हासिल हुए जबकि और कांग्रेस को 42.23 वोट मिले हैं। भाजपा को 54 सीटें मिली। कांग्रेस 35 सीटों पर सिमटी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली है।छत्तीसगढ़ चुनाव में बसपा को 2.07 प्रतिशत वोट मिले हैं। उसके साथ और गठबंधन करने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर हीरा सिंह ही इकलौते जीते हैं।


अब राज्य में फिलहाल राजनितिक ध्रुवीकरण दो पार्टियों वाला ही हो गया है जो कि हमेशा से ही था। पिछले दो चुनाव में जरूर बहुजन समाज पार्टी और जोगी कांग्रेस ने कुछ सीटों पर असर लगा था लेकिन इस बार उनका भी पत्ता साफ हो गया।
सबसे करारी हार राज्य के निवर्तमान उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की हुई जो सिर्फ 94 वोट से चुनाव हार गए जबकि सिंहदेव इस बार मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। पहले 167 वोटो से हार हो रही थी। रीकाउंटिंग हुई जो 94 वोट पर समाप्त हो गई।


आज उन्होंने एक इंटरव्यू में इस बात को माना कि कोई ना कोई उनको हराने की कोशिश कर रहा था और उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में महादेव अप घोटाले को लेकर जो बातें उड़ी, उसका असर भी चुनाव पर पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि वह राज्य में सकारात्मक संदेश जनता के बीच नहीं पहुंचा पाए। उन्होंने माना कि उनके और निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच में जो सत्ता संघर्ष रहा है उसका भी असर कहीं ना कहीं चुनाव में पड़ा होगा।

सिंहदेव को अंबिकापुर जैसी अति सुरक्षित माने जाने वाली और कई वर्षों से कांग्रेस का गढ़ रही अंबिकापुर सीट से बीजेपी के राजेश अग्रवाल ने हराया। दिलचस्प बात यह है कि राजेश अग्रवाल कांग्रेस में ही रहे हैं और सिंहदेव के बहुत कांरीबी 2018 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।
सबसे हैरानी की बात यह देखी जा रही है कि ईश्वरी साहू नाम का एक साधारण मजदूर राजा सीट पर चुनाव जीत गया उसने सात बार के विधायक रहे गद्दाबर मंत्री रविंद्र चौबे को हरा दिया ईश्वरी साहू के बेटे कि सांप्रदायिक दंगे में मौत हो गई थी। उसके बाद भाजपा ने ईश्वर साहू को टिकट दिया। माना जाता है कि घटना का असर यह भी हुआ कि राज्य बड़े मंत्री और सांसद रह चुके निवर्तमान गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू भी चुनाव हार गए। राज्य में चुनाव परिणाम पर साजा की घटना के व्यापक असर की बात भी प्रेक्षक मान रहे हैं।

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