Swadesi Mela: केसरिया बालम आओ जी… से राजस्थानी कला मंच पर हुई जीवंत
रायपुर। विगत दिनों से साइंस काॅलेज मैदान में आयोजित स्वदेशी मेला अपने पूरे शबाब पर है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर अपने हुनर को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश की जा रही है वहीं विभिन्न रचनात्मक, कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों, युवाओं, महिलाओं से लेकर हर वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किए गए प्रतियोगिताओं में उमड़ती प्रतिभागियों की संख्या उनके उत्साह को दर्शा रही है।
संध्याकालीन कठपुतली शो के जरिए मनोरंजक अंदाज में गूढ़ सामाजिक सरोकारों के संदेशों को बयां किया गया, वहीं युवाओं ने ग्रुप डांस के जरिए कभी ठेठ देसी अंदाज तो कभी विदेशी डांस के जलवे बिखेरते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सात दिवसीय स्वदेशी मेला अपने समापन की ओर अग्रसर हो रहा है, उसी के साथ प्रतिदिन दोपहर से लेकर देर रात तक एक से बढ़कर एक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को उत्साह खासा बढ़ता जा रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की कड़ी में राजस्थान के रंगीले-छबीले रूप-रंग के साथ कलाकारों ने केसरिया बालम…जैसी मोहक नृत्य को पेश किया, कालबेलियां के रोमांचक मंचन की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं।
आंध्रप्रदेश की संस्कृति से परिपूर्ण परिधान के साथ क्षेत्रीय भाषाई गायन पर बढ़िया नृत्य दर्शकों को लुभा गए। वहीं अनूठी कठपुतलियों के शो के माध्यम से राज्य में अपनी खास पहचान रखने वाली बिलासपुर की किरण मोइत्रा ने चुलबुले अंदाज, हास-परिहास के माध्यम और विशिष्ट परिधान से गंभीर सामाजिक मुद्दों को सरलता से प्रस्तुत कर लोगों को आकर्षित किया।
स्कूलों एवं काॅलेजों के युवा वर्गों के लिए समूह नृत्य प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक शानदार पेशकश दी गई। कभी माटी की भीनी खुशबू बिखेरती कर्मा, पंथी, सुआ जैसे पारंपरिक नृत्यों पर दर्शक थिरकते नज़र आए तो कभी वेस्टर्न डांस, माॅर्डन डेªस अप में कंटेपररी, हिप-हाॅप जैसे साॅंग्स ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
बाल कल्याण परिषद छत्तीसगढ़ के तहत संचालित संस्था की संयुक्त सचिव इंदिरा जैन ने बताया कि बालक गृह माना मानसिक दिव्यांग बच्चों, खुला आश्रय गृह माना के बच्चों ने सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव तथा बालक जीवन ज्योति पुरानी बस्ती की मानसिक दिव्यांग बालिकाओं ने सुवा नर्त पेश किया सबको हतप्रभ कर दिया।
स्वाद का खज़ाने के महिलाओं के विशेष काउंटर में राजस्थान के लज़ीज व्यंजनों तथा आंध्र प्रदेश के स्वादिष्ट पकवानों के लोगों ने खूब चटखारे लिए। मेले में लगाए स्टालों में मिलेट्स से तैयार स्वादिष्ट व हैल्दी पकवानों ने मुंह में पानी ला दिया वहीं केरल के विशेष पेड़ की छाल उपलब्ध है जिसे वेलकम ड्रिंक के तौर पर आज भी पिया जाता है जिसका प्राचीन समय में पानी तथा रक्त को शुद्ध करने के लिए प्रयोग में लिया जाता रहा है।
आगरा के एकल संगमरमर पत्थर से तैयार श्वेत शेर, फाउंटेन, कश्मीर की कारीगरी वाले शाॅल, कपड़े आदि हज़ारों सामग्रियां कौतुहल का विषय रहीं। दोपहर में महिलाओं की सुंदरता के प्रतीक केशों की विशिष्ट सज्जा के लिए केशसज्जा प्रतियोगिता हुई।
जिसमें लोगों ने भाग लिया। 1 घंटे की नियत अवधि में बालों को खूबसूरत स्टाइल में सजाकर चेहरे पर निखार लाने में प्रतिभागियों ने पूरा जोर लगा दिया। इसमें प्रथम आरती शुक्ला , द्वितीय प्रज्ञा नायक रहीं! इस प्रतियोगिता की निर्णायक मंडली में शामिल रहे। इस प्रतियोगिता की प्रभारी संध्या बडोले, अंकिता बर्धन, लक्ष्मी यादव, साधना चक्रवर्ती, अरूणा यादव, शकुंतला श्रीवास, रत्ना ठाकुर, सुषमा झा थीं।