‘मंप्स’ से संक्रमित हो रहे बच्चे, हर रोज मिल रहे 10 नए मरीज
बदलते मौसम में बच्चों में तेजी से ‘मंप्स’ यानी गलसुआ रोग का संक्रमण फैल रहा है। जिला अस्पताल व सिम्स में हर रोज औसतन इसके 10 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञों ने ऐसे हालातों में बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों से बचने का आग्रह किया है।
लार के माध्यम से फैलता है संक्रमण…
डॉक्टरों के मुताबिक ‘मंप्स’ के वायरस का संक्रमण लार ग्रंथि को प्रभावित करता है। इसकी वजह से तेज बुखार के साथ गाल से लेकर गले तक सूजन आ जाता है। इससे भोजन-पानी में तकलीफ होती है। चूंकि इसके वायरस लार में होते हैं, लिहाजा इसी के माध्यम से दूसरों में भी फैलने का खतरा रहता है।
वायरस इंफेक्शन की वजह से होती है बीमारी
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी वायरस इंफेक्शन की वजह से होती है। इसके वायरस सक्रिय होने का समय जनवरी-फरवरी माना जाता है। यह संक्रमण किसी भी उम्र के बच्चों में फैल सकता है, पर इम्युनिटी पावर कमजोर होने पर विशेष कर बच्चों व वरिष्ठजनों को ज्यादा घेरता है। चूंकि यह वायरस फैलने वाला है, लिहाजा एक से दूसरे में तेजी से फैलता है। यही वजह है कि इस संक्रमण से ग्रसित को भीड़भाड़ वाली जगहोें में जाने से बचना होगा, ताकि औरों में इसका संक्रमण न फैलने पाए। दूसरी ओर स्वस्थ्यों को भी संक्रमित से दूरी बना कर चलना होगा।
टीके से रोकथाम
इस संक्रमण से बचने बच्चों को 9 माह, 15 माह व 5 वर्ष की उम्र में तीन टीके लगते हैं। बचपन में जिन्हें से टीके नहीं लगे, उन्हें इसके वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। संक्रमण फैलने पर इसे ठीक करने मेडिसिन चलती है, फिर भी इसके पूरी तरह से ठीक होने में 12 से 14 दिन लग जाते हैं।
‘मंप्स’ का संक्रमण काल यूं तो जनवरी-फरवरी माना गया है, पर अब मौसम भी अपने अनुरूप पैटर्न पर नहीं चल रहा, लिहाजा इसके वायरस कभी भी सक्रिय हो सकते हैं। वर्तमान में बच्चों में इसका संक्रमण ज्यादा दिखाई दे रहा है। 9 माह से 5 साल तक के बच्चों के लिए टीका उपलब्ध है।
इसे नियमानुसार लगवाना होगा। जो इस संक्रमण की चपेट में आ गया है, वे भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें, ताकि औरों में इसका संक्रमण न फैलने पाए। जिन्हें यह संक्रमण नहीं है, उन्हें भी इसका ध्यान रखना होगा कि वे ऐसे मरीजों से दूरी बना कर चलें। संक्रमित स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखें, वहीं डॉक्टर के माध्यम से समुचित इलाज लें।
डॉ. अशोक अग्रवाल, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ