राजिम कुंभ मेले में जान से खिलवाड़, न रस्सी बांधी न हेलमेट पहना.. चढ़ा दिए 35 फीट ऊंचे लक्ष्मण झूले पर
शहर में इन दिनों राजिम कुंभ मेले की तैयारी चल रही है। महानदी के इस पार हो या उस पार, दोनों तटों पर कोई न कोई काम रोज चल रहा है। सोमवार को कुछ मजबूर लक्ष्मण झूले का रंग-रोगन करते दिखे। ठेकेदार ने इन्हें सुरक्षा के लिए न तो हलमेट दिया है, न ही कोई सुरक्षा रस्सी बांधी है। बता दें कि नदी तल से पुल की ऊंचाई तकरीबन 35 फीट है। जरा भी चूक हुई तो मजदूर सीधे नीचे गिर सकते हैं और अनहोनी हो सकती है।
इधर, नदी किनारे मेले के लिए दुकानें सजने लगी हैं। कई दुकानदारों ने पहले ही यहां अपनी दुकानें सजा ली हैं। इन्हें हटाकर सभी को सरकार द्वारा दुकान उपलब्ध कराने की बात चल रही है। शासन ने यहां 10 बाई 10 की दुकानें बनवाई हैं। दुकानदारों को इन दुकानों का साइज बहुत छोटा लग रहा है। उनका कहना है कि इतनी छोटी दुकान में हम 15 दिनों का सामान कैसे रखेंगे? हम सारा सामान एक बार ही ओडिशा से बनाकर लाते हैं। जबकि, यह मेला का सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला है।
खासतौर पर बच्चों में काफी लोकप्रिय है। वहीं दुकानों को तीन ओर कपड़े से घेरा गया है। दुकान के ऊपरी हिस्से को भी भगवा कपड़े से ढंका गया है। हर साल मेले के दौरान बारिश जरूर होती है। ऐसे में दुकान के उपर तालपतरी नहीं होने से सारा सामान बारिश में भीग जाएगा। दुकानदारों द्वारा शासन से बनाई जा रही दुकानों के ऊपर तालपतरी लगाने की मांग की जा रही है। दुकानों को सजाने में भी भगवा रंग का इस्तेमाल किया है।
पैरी का पानी बिना परेशानी महानदी में मिलेगा
24 फरवरी से 8 मार्च तक चलने वाले राजिम कुंभ मेले की तैयारी मे विद्युत, लोक निर्माण, स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य विभाग भी जुटे हुए हैं। इस बार भी लोमश ऋषि आश्रम के साथ हरि से हर तक पहुंचने के लिए रेत पर फर्शी पत्थर बिछाए जा रह हैं। इसी मार्ग पर पैरी नदी की जल धारा बह रही है। यहां सीमेंट के पाइप बिछाए जा रहे हैं, ताकि पैरी का पानी बिना किसी परेशानी के महानदी में मिल जाए। जलसंसाधन विभाग इस ओर खासा ध्यान दे रहा है। बता दें कि लोग इस त्रिवेणी संगम को गंगा के समान पूजनीय मानते है। यहां श्रद्धालु गण नदी किनारे पर रेत का शिव लिंग बनाकर पूजा अर्चना भी करते है।
नदी के अस्तित्व को मुरुम से खतरे में डाला
पूवर् में भाजपा सरकार कुंभ की भव्यता बढ़ाने और श्रध्दालुओं की सुविधा के लिए नदी में मुरूम का रोड बनवाती थी। इससे पूरी नदी प्रदूषित और गंदी होने लगी है। जनता के साथ साधु-संतों ने भी मुरूम की सड़क को गलत बताया था। अब यहां फर्शी पत्थर की सड़क बनाई जा रही है।