Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस दूसरी सूची में इन चेहरों पर खेल सकती है दांव, रेस में चल रहे सबसे आगे, देखें नाम
कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 6 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। 5 सीटों में एक से अधिक नाम होने की वजह से मामला फंस गया। बैठक में कुछ नए नाम भी सामने आने से हाईकमान भी नए सिरे से क्षेत्र के लोगों से फीडबैक लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए बकायदा लोकसभा क्षेत्र के लोगों से फोन के जरिए संपर्क किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस फीडबैक के आधार पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चर्चा कर नामों पर मुहर लगेगी। संकेत मिले हैं कि यह बैठक आज किसी भी वक्त हो सकती है।
समिति को इस बात पर आपत्ति
बताया जाता है कि केंद्रीय चुनाव समिति ने 11 लोकसभा सीट से एक-एक नाम मांगा था। इसके बावजूद कुछ लोकसभा सीटों पर नामों का पैनल बनाकर भेजा गया था। इसे लेकर समिति ने आपत्ति भी जताई और कहा, एक नाम होते, तो सभी सीटों पर तत्काल प्रत्याशियों की घोषणा हो जाती।
बस्तर: यहां से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और हरीश लखमा के नाम पैनल में था। बैठक में छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ नेता ने कवासी लखमा का नाम लिया। लखमा विपरीत परिस्थति में भी लगातार चुनाव जीते आए हैं। वे कोंटा के विधायक है। जबकि बैज वर्तमान में बस्तर के सांसद भी है।
सरगुजा: यहां से शशि सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा था। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में अमरजीत भगत को भी चुनाव लड़ने की चर्चा हुई। इसकी यह प्रत्याशी चयन का मामला अटक गया। बताया जाता है कि भगत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पसंद है।
कांकेर: यहां नामों की लंबी सूची थी। पूर्व मंत्री मोहन मरकाम, पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया, बीरेश ठाकुर, नरेश ठाकुर के नामों की चर्चा थीं। यहां महिला प्रत्याशी को मौका देने की बात उठी। इसके बाद क्षेत्रीय व जातिगत समीकरण को ध्यान रखकर फिर से कवायद हो रही है।
बिलासपुर: इस लोकसभा की गिनती हाईप्रोफाइल सीट के रूप में होती है। यहां से पूर्व विधायक शैलेष पाण्डेय व विष्णु यादव के नाम की चर्चा थीं। ऐन समय में यहां से देवेन्द्र यादव का नाम सामने आया। यह भी भूपेश की पसंद बताई जाती है। कांग्रेस यहां से ओबीसी वर्ग से किसी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाएगी।
रायगढ़: यहां से रामनाथ सिदार और लालजीत सिंह राठिया का नाम सबसे आगे चल रहा था। जयमाला सिंह का नाम भी पैनल में था। अब डॉ. मेनका सिंह का नाम भी सामने आने के बाद मामला खटाई में पड़ गया। यहां जातिगत समीकरण को अधिक महत्व मिलेगा।