Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ में सियासी पारा बदलते देर नहीं लगती, 2019 में हुआ था खेला, देखें सियासी रिपोर्ट
चुनाव में मतदाताओं का मन टटोलना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कई बार ऐसे नतीजे आए हैं, जिससे यह सही भी साबित हुआ है। यहां की जनता ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाई थी। इसके करीब छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में जनता का मन बदला और भाजपा को 11 में से 9 सीटों पर जीत दिलाई।
इसके बाद वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस को दोबारा मौका न देकर भाजपा की सरकार चुनी। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के जिन दो प्रत्याशियों को हराया था, उन्हें जीत दिलाकर विधानसभा भेजा दिया। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज अपनी सीट नहीं बचा सकें।
21 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस रही आगे
वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए नया संकेत लेकर आया। लंबे समय बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दो सीट जीतने में कामयाब हुई। विधानसभा के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कांग्रेस ने 68 विधानसभा की सीट जीती थी, लेकिन लोस चुनाव में 21 विधानसभा सीटों में ही बढ़त हासिल कर सकी। लोकसभा चुनाव में पाली-तानाखार विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां से कांग्रेस को 1 लाख वोट मिले थे। यहां कांग्रेस ने 39 हजार 156 वोटों से लीड मिली थी। कोरबा लोकसभा सीट जीतने में यहां को वोटरों ने अहम भूमिका निभाई थीं।
इस बार भाजपा-कांग्रेस रिकॉर्ड बदलने के मूड में
इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों रिकॉर्ड बदलने के लिए चुनाव मैदान में उतरे है। इस बार भाजपा 11 की 11 लोकसभा सीट जीतने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरी है। इसके लिए भाजपा ने हर बूथ में 370 प्लस का नारा दिया है। वहीं कांग्रेस पांच से अधिक लोकसभा सीट जीतने के लिए प्रयास कर रही। इसके लिए कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतरा है।
अटल व भोला पर दूसरी बार में जताया भरोसा
कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में हारे हुए तीन प्रत्याशियों को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में दोबारा मौका दिया था। दोबारा मौका मिलने पर वे जनता की कसौटी पर खरे उतरे। कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को वर्ष 2023 में कोटा विधानसभा से विधायक प्रत्याशी बनाया था। श्रीवास्तव ने यहां प्रबल प्रताप सिंह जुदेव को हराया और पहली बार के विधायक बने। इसी प्रकार राजनांदगांव के लोकसभा प्रत्याशी भोला राम साहू अपना चुनाव हार गए थे। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में खुज्जी से टिकट दी और वो चुनाव जीतने में कामयाब भी हुए।
दुर्ग और रायपुर से कांग्रेस का सूपड़ा साफ
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस रायपुर और दुर्ग सीट से पूरी तरह से साफ हो गई थी। इन दोनों सीटों में नौ-नौ विधानसभा की सीट आती है। इनमें से एक भी विधानसभा सीट में कांग्रेस को बढ़त नहीं मिली थीं। जबकि बस्तर और कांकेर में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा था। कांग्रेस ने बस्तर की छह विधानसभा कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, चित्रकोट, बीजापुर और कोंटा में बढ़त हासिल की थी। बस्तर लोकसभा की सीट जीतने में भी कामयाब हुई थी। इसके बाद कांकेर लोकसभा की तीन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त मिली थी। इसके अलावा कांग्रेस ने सीतापुर, पत्थलगांव, चंद्रपुर, जैजैपुर, रामपुर, कटघोरा, मरवाही, मस्तूरी, कोटा, खुज्जी और खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल की थी।