मोटर मैकेनिक के बेटे ने 10वीं में और किसान की बेटी ने 12वीं में किया टॉप, जानें कैसे पाई ये सफलता
ग्रामीण परिवेश से आए बच्चों ने इस बार जिले की टॉपर लिस्ट में जगह बनाई है। दसवीं में जहां प्रयास विद्यालय जगदलपुर में रहकर पढ़ाई करने वाले कोण्डगांव के बड़ेराजपुर ब्लॉक के जामपारा गांव के मनीष सोम पिता ओमप्रकाश सोम ने 96.83 प्रतिशत के साथ टॉप किया है। उनके पिता मोटर मैकेनिक हैं।
प्रयास की नेल्सा गवरना पिता खिलेश्वर गवरना और सरस्वती शिशु मंदिर जैबेल के अजीत देवांगन पिता मंगलनाथ देवांगन ने भी पहला स्थान पाया है। तीनों बच्चों के प्राप्तांक एक सामान हैं। वहीं 12वीं में गुनगुन चंदेल ने 90.60 प्रतिशत अंक प्राप्त कर टॉप किया है। गुनगुन मारीगुड़ा के विमल विद्याश्रम की छात्रा हैं और चिउरगांव की रहने वाली हैं। गुनगुन के पिता किसान हैं।
दसवीं में 86.89 और बारहवीं में 86.20 प्रतिशत बच्चे हुए सफल
जिले के परिणों में बेटियों ने बेटों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया है। 10वीं में 86.89 प्रतिशत और बारहवीं में 86.20 प्रतिशत छात्र सफल हुए हैं। 10वीं में 89.20 प्रतिशत बेटियों और 84.23 बेटों ने सफलता हासिल की है। वहीं 12वीं में 87.72 प्रतिशत बेटियों और 84.45 प्रतिशत बेटे सफल हुए हैं।
दसवीं के टॉपर से बातचीत
मनीष ने कहा- आईएएस बन देश की सेवा करूंगा
दसवीं के टॉपर मनीष सोम ने पत्रिका से कहा कि वे आगे मैथ्स लेकर पढ़ाई करेंगे और कंप्यूटर साइंस इंजीनियर बनेंगे। इसके बाद वे आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।
नेल्सा बोलीं- आईएएस बनना हालात बदलूंगी
दसवीं की टॉपर नेल्सा गवरना ने कहा कि वे भी आईएएस बनकर देश और प्रदेश के हालात बदलना चाहती हैं।
अजीत ने कहा- अब आगे का सफर तय करना है..
शिशु मंदिर जैबेल के छात्र अजीत देवांगन ने भी दसवीं में टॉप किया है। अजीत ने कहा कि अब नतीजे देखने के बाद वे आगे के बारे में सोचने वाले हैं।
12वीं की टॉपर गुनगुन ने कहा- कृषि अधिकारी बनना है
12वीं की टॉपर गुनगुन चंदेल चिउरगांव करपावंड की रहने वाली हैं। गुनगुन एग्रीकल्चर की छात्रा हैं और अभी पीएटी की तैयारी कर रही हैं। गुनगुन कहती हैं वे कृषि अधिकारी बन किसानों की सेवा करनी चाहती हैं।
छह जिले से फिर नहीं निकला स्टेट टॉपर
बस्तर संभाग में कांकेर छोड़ बाकी किसी भी जिले से स्टेट टॉपर नहीं निकला है। सालदर साल यही परिणाम सामने आ रहा है। बस्तर संभाग में हर साल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं लेकिन नतीजे निराशाजनक ही सामने आ रहे हैं।