नारी शक्ति: कठिनाइयों से लड़ना ही जीवन, शिक्षक सम्मान से नवाजी गई रश्मि की ये कहानी आपको देगी नई उर्जा
गांव में पली-बढ़ीं रश्मि गुप्ता स्वयं शिक्षक होने के साथ न सिर्फ अपने बच्चों, बल्कि उनके संपर्क में आए हर एक बच्चे का जीवन संवार रही हैं। जब उनकी शादी हुई, ससुराल वालों ने दहेज न लाकर सिर्फ लड़की को घर लाना मुनासिब समझा। पर बाद में जीवन में कई कठिनाइयां आईं।
वह बताती हैं कि जब वैवाहिक जीवन की शुरुआत हुई, तब मायके एवं ससुराल के धनाढ्य होने के बावजूद जीवन में तमाम सुख सुविधाओं का अभाव था। इस बीच बेटा हुआ। स्थिति इतनी खराब थी कि उसे साथ लेकर जमीन पर चटाई बिछाकर सोना पड़ता था। शिक्षा कर्मी की नौकरी के सहारे अपने लिए सारी सामग्रियां जुटाईं। पति की पोस्टिंग अन्य जिले में थी इसलिए अकेले ही बच्चों का लालन पालन किया। कुछ समय बाद गिरने की वजह से रश्मि की मां के पैर में हेयर लाइन फ्रेक्चर हुआ, पर अनदेखी के चलते समस्या बढ़ गई और मां चलने में असमर्थ हो गईं।
रश्मि बताती हैं कि उन्होंने अपनी मां की तीन वर्ष तक सेवा की। जब उनकी मां की स्थिति गंभीर थी, तब बेटे-बेटी दोनों बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में नौकरी के साथ मां की देखभाल व बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उन्हीं का था। उन्होंने अपने बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई। अब उनका बेटा निजी कंपनी में बड़े ओहदे पर कार्यरत है। बिटिया भी पढ़ाई कर रही है। वह राज्य शिक्षक स्मृति सम्मान से सम्मानित शिक्षिका हैं। मां के नाम पर अवकाश के दिनों में गरीब बच्चों की विशेष कक्षा निशुल्क लेती हैं। उसके अलावा
स्वच्छता, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण,व आत्मरक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अपने विद्यालय एवं समाज में कार्य कर जागरूकता लाने का प्रयास किया है। उन कार्यों के चलते विद्यालय को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. मुकुटधर पांडेय राज्य शिक्षक सम्मान के द्वारा सम्मानित रश्मि को नारी शक्ति, प्रतिभा रत्न, समाज गौरव, छत्तीसगढ़ रत्न अनेक सम्मान प्राप्त हैं। रश्मि वनवासी विकास समिति की सदस्य के रूप में आदिवासी छात्र छात्राओं के लिए अन्न संग्रहण का कार्य भी विगत दस वर्षों से करती आ रही हैं।
मिले कई समान
डॉ. मुकुटधर पांडेय राज्य शिक्षक समान के द्वारा समानित रश्मि को नारी शक्ति, प्रतिभा रत्न, समाज गौरव , छत्तीसगढ़ रत्न अनेक समान प्राप्त हैं। रश्मि वनवासी विकास समिति की सदस्य के रूप में आदिवासी छात्र छात्राओं के लिए अन्न संग्रहण का कार्य भी विगत दस वर्षों से करती आ रही हैं।