नारी शक्ति: देश के 9 राज्यों के साथ विदेशों में बिखेर रही ओडिशा नृत्य की छंटा
सारंगढ़ में रहने वाली आर्या नंदे 3 साल की नन्ही उम्र में क्लासिकल डांस की साधना में लीन हो गई। 10 साल तक कठोर अभ्यास करने के बाद उन्हें रायगढ़ में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के चक्रधर समारोह मंच पर परफामेंस करने का पहला अवसर मिला। इस मंच के बाद ओडिशी नृत्य की यह नन्ही चिराग आज मशाल बन गई और देश के 9 राज्यों के अलग-अलग मंचों के साथ विदेशों में भी ओडिशा की छंटा बिखेर रही है।
आर्या बताती हैं कि बचपन से उनकी रूचि क्लासिकल डांस में रही। इसमें उनके परिवार का भी सपोट मिला। तीन वर्ष की थी तब से वह क्लासिकल डांस शुरू कर की। 13 साल की उम्र में जब पहुंची तो वर्ष 2013 में उन्हें रायगढ़ में होने वाले राष्ट्रीय चक्रधर समारोह में परफामेंस करने का अवसर मिला।
इस मंच पर कार्यक्रम देने के लिए ओडिशा प्रांत से भी टीम आई थी। यहां आर्या के नृत्य से प्रभावित होकर भुवनेवर के गजेंद्र कुमार पंडा उनके नृत्य में और निखार लाने के लिए अपने साथ भुवनेश्वर ले गए। आर्या के परिजनों के लिए गर्व की बात यह रही कि एक गुरु ने शिष्य का चयन किया। ओडिशा के भुवनेश्वर जाने के बाद उनकी कला और निखरती गई।
इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वर्ष 2013 के बाद इन 11 साल की अवधि में वे छत्तीसगढ़ सहित देश के 9 राज्यों के विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के मंचों पर ओडिशी नृत्य का लोहा मनवाते हुए कई पुरस्कार अपने नाम किए। उनका यह सफर यही नहीं थमा राष्ट्रीय स्तर के मंचों के साथ विदेश में मलेशिया, सिंगापुर, जापान, साउदी अरब, बैकांक, थायलैंड जाकर भी ओडिशा नृत्य की छंटा बिखेर चुकी है।
अपने आप को नहीं दिया टूटने
छत्तीसगढ़ से ओडिशा के भुवनेश्वर जाने के बाद वहां उनकी मुलाकात अच्छे कलाकारों से हुई। इस समय उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनका डांस उनके आगे कुछ भी नहीं है। ऐसे में वे एक बार उनका मन उदास हुआ कि वे उनके आगे कैसे निकल सकती है, लेकिन फिर अपने मन को टूटने से बचाते हुए आपने आप को मजबूत किया और अभ्यास में लीन हो गई। इससे उनका परफामेंस और ज्यादा निखरता गया।
दूसरों को भी कर रही प्रेरित
ओडिशी नृत्य में बेहतर मुकाम तक पहुंचने के बाद इस कला को आगे बढ़ाने का प्रयास उनके द्वारा लगातार किया जा रहा है। वे सारंगढ़ के साथ रायपुर में नृत्य श्रीधारा के नाम से डांस एकेडमी चलाती है। यहां भी कई बच्चे इस कला को सिखने के लिए पहुंचते हैं।