Onion Price Hike: प्याज के बढ़ते दामों ने बढ़ाई टेंशन, जानें कब तक मिलेगी राहत
प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन हटाए जाने का असर स्थानीय बाजार में दिख रहा है। बाहरी देशों में एक्सपोर्ट के कारण डिमांड बढ़ जाने से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की मंडियों में ही प्याज की कीमत बढ़ गई है। इसका असर यहां के बाजार में भी दिख रहा है। महीनेभर पहले तक 10 से 15 रुपए किलो में बिकने वाले प्याज की कीमत बढ़कर 40 से 45 रुपए किलो पहुंच गया है। जिले में फिलहाल महाराष्ट्र से प्याज की आवक हो रही है।
पिछले सीजन में देश में प्याज की कमी और कीमत बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। पिछले महीने ही पांच पड़ोसी देशों के लिए यह बैन हटाया गया है। लिहाजा प्याज उत्पादक राज्यों से इन देशों में प्याज का निर्यात किया जा रहा है। इससे प्याज की मांग बढ़ गई है।
प्रदेश का पूरा बाजार महाराष्ट्र के नासिक, लासलगांव, पिपलगांव, अहमद नगर और जलगांव के अलावा मध्यप्रदेश के खंडवा की मंडी पर निर्भर रहता है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के सभी मंडियों में प्याज की जबरदस्त मांग है। इससे प्याज की कीमत मंडियों में ही बढ़ गई है। लिहाजा लोकल व्यापारियों को महाराष्ट्र की मंडियों से ही महंगी कीमत पर प्याज लाना पड़ रहा है। दुर्ग थोक मंडी में प्याज थोक में 32 से 35 रुपए किलो और चिल्हर में 40 से 45 रुपए प्रति किलो की दर पर बिक रहा है।
परिवहन के कारण खरीदी ही महंगी
मांग ज्यादा होने के कारण इस समय महाराष्ट्र की मंडियों में ही प्याज की कीमत सामान्य से ज्यादा है। मंडियों में ख्ररीदी के बाद सड़क मार्ग से परिवहन के अतिरिक्त खर्च के कारण प्याज की कीमत और भी ज्यादा हो जा रही है।
पिछले साल 90 रुपए तक प्याज बिका
जिले में प्याज का शार्टेज पिछले साल भी रहा। पिछले जुलाई-अगस्त से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई और कीमत 55 से 60 रुपए किलो तक पहुंच गया था। अक्टूबर में 90 रुपए किलो में भी प्याज बिका।
इन कारणों से भी कीमत में बढ़ोतरी
प्याज की खेती के बाद अधिकतर बड़े किसान व व्यापारी गैर उत्पादन सीजन के लिए अच्छे क्वालिटी का प्याज स्टोर कर लेते हैं। गैर उत्पादन सीजन में प्याज की कीमत बढ़ जाती है और इससे किसानों और व्यापारियों को ज्यादा लाभ मिल जाता है। मौजूदा समय ऐसे ही भंडारण का है।
प्रदेश में कवर्धा जिले में प्याज की अच्छी खेती होती है। लोकल बाडिय़ों में भी उत्पादन होता है। पिछले कृषि सीजन में असमय बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। इससे उत्पाद बेहद कम हुआ। इस समय बाजार में लोकल आवक बहुत कम है।
अभी कीमत में राहत की संभावना कम
स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक लोकल बाड़ियों से सामान्य आवक की स्थिति में अन्य प्रदेशों के प्याज की ज्यादा जरूरत नहीं होती। लोकल आवक के कारण कीमत भी कम होती है। सामान्य स्थिति में इस समय 5 से 10 रुपए किलो प्याज मिलना चाहिए, लेकिन इस बार अभी से बाहर के प्याज पर निर्भरता बढ़ गई है। ऐसे में मौजूदा कीमत से खास राहत की संभावना नहीं है।
पूर्व अध्यक्ष थोक सब्जी-फल व्यापारी संघ दुर्ग नासिर खोखर ने कहा कि अमूमन एक्सपोर्ट खुलने पर प्याज की मांग बढ़ जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। महाराष्ट्र की मंडियों में भी प्याज की कीमत ज्यादा है। स्थानीय व्यापारियों को परिवहन खर्च अतिरिक्त वहन करना पड़ रहा है। इससे प्याज की कीमत बढ़ जा रही है।