CG Ajab-Gajab: छत्तीसगढ़ में है दामादों का गांव, हैरान कर देगी यह कहानी

शादी के बाद गांव दामाद ससुराल में रहने लगे तो उसे घर जमाई ही कहा जाता है, लेकिन जिले से लगा गांव गढ़उमरिया ऐसा गांव हैं जहां कुल परिवारों में करीब 20 फीसदी से अधिक दामाद ही बसते हैं। हालांकि यह दामाद घर जमाई नहीं बल्कि ससुराल के गांव में अलग से मकान बना कर रह रहे हैं। ऐसे में इसे दामादों का गांव भी कहा जाने लगा है। रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर गढ़उमरिया ग्राम पंचायत है।

यह गांव जिले के बड़े गांवों में से एक है। यहां के आबादी करीब साढ़े छह हजार है और मतदाताओं की संख्या 3700 के करीब है। गांव की ज्यादा आबादी के पीछे यहां के दामाद हैं। ग्रामीणों के अनुसार यहां की बेटियों का विवाह करने के बाद रीति रिवाज के साथ बेटियों की विदाई कर दी जाती है। इसमें से कुछ बेटियां पति के साथ अपने मायके आ जाती है और गांव में ही अलग से मकान बना कर रहने लगती हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर आते हैं ससुराल : ऐसा नहीं है कि यहां की हर बेटी शादी के बाद ससुराल आ आती है। इसमें ज्यादातर ऐसे दामाद होते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और उन्हें उनके गांव में रोजगार नहीं मिलता, ऐसे लोग ही यहां आकर निवास करते हैं।

मतदान के लिए जागरूक गांव

इस गांव की जनसंख्या अधिक होने की वजह से ग्राम पंचायत में वार्डों की संख्या 20 है। यह गांव मतदान को लेकर जागरूक भी है। विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव इस गांव में मतदान का प्रतिशत भी काफी ज्यादा रहता है। बीते लोकसभा चुनाव चुनाव में 85 फीसदी से अधिक मतदान गांव में हुआ था।

शहर में आसानी से रोजगार मिल जाता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग के बेटी दामाद रोजगार के लिए गांव में ही आते हैं। यहां रोजी रोजगार कर जीवन यापन करते हुए बस जाते हैं। -गणेश खड़िया, सरपंच, ग्राम पंचायत, गढ़उमरिया

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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