सोशल मीडिया का प्रभाव, 6 माह में 55 बच्चियों ने छोड़ा घर
बस्तर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में नाबालिग लड़कियों और लड़कों के गायब होने की सिलसिला जारी है। सोशल मीडिया में होने वाली दोस्ती इतनी घातक हो चुकी है बच्चे यहां से घर छोड़ने तक का निर्णण ले रहे हैं। बस्तर से पिछले छह महीने में 72 बच्चे गायब हुए जिनमें से 55 तो नाबालिग थीं।
बच्चे अच्छे- बुरे में फर्क नहीं समझ पा रहे हैं। 13 से 17 वर्ष की उम्र में बच्चे घर छोड़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 13 से 17 वर्ष की आयु के किशोरों में सोशल मीडिया पर दोस्त बनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। कम उम्र में अनजान आकर्षण के जाल में फंसकर ये किशोर उन दोस्तों से बात कर ज़्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं। अधिकांश बच्चों का मानना होता है कि ऐसे लोग उनका मुश्किल समय में उनका साथ देंगे।
सात महीनों में 58 नाबालिग बरामद
बस्तर पुलिस के अनुसार जिले में पिछले सात महीने में कुल 58 बालक, बालिकाओं को बरामद किया गया। इनमें सबसे ज्यादा 46 बालिकाएं हैं और शेष 12 बालक हैं। जुलाई में ही कुल 13 बच्चे घर से भाग निकले थे जिनमें 11 बालिकाएं थी और मात्र 2 बालक थे। हाल ही में ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं जिनमें दो आरोपियों को नाबालिग के साथ रंगे हाथों पकड़कर जेल भेजा गया है।
85 फीसदी किशोर करते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल : वर्तमान समय में 90 प्रतिशत किशोर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें 85 प्रतिशत के पास कम से कम एक सक्रिय सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल हैं। 60 फीसदी किशोर ऐसे है जिसने कम से कम रोज़ाना किसी सोशल मीडिया एक्टिव रहते हैं। औसतन, किशोर दिन में लगभग नौ घंटे ऑनलाइन रहते हैं, जिसमें होमवर्क का समय शामिल नहीं है।
251430 लड़कियां गायब
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार देशभर में 2022 में 47,000 से अधिक बच्चे लापता हुए हैं। जिनमें 71.4 प्रतिशत किशोरियां हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इसी साल जुलाई में संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में 2019 से 2021 के बीच 18 साल से ऊपर की 10,61,648 महिलाएं और उससे कम उम्र की 2,51,430 लड़कियां भी लापता हैं।
परिवार में बच्चों से बातचीत का समय तय हो
असिस्टेंट प्रोफेसर व मनोविज्ञान अलका केरकेट्टा ने पत्रिका को बताया कि आजकल ज्यादतर बच्चे नेट एडिक्शन हैं। व्यस्त जीवन शैली के चलते परिजन एक दूसरे को समय नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आकर बच्चे उनके बहकावे में आ जाते हैं। इससे बचने के लिए एक हेल्दी टाइम टेबल बना कर अपनाने की जरूरत है। परिजन भी बच्चों को समय दें व सृजनात्मक कार्यों में जोडऩे का प्रयास करें।