नारी शक्ति: नौकरी छोड़, संभाली महिलाओं को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी
लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते, लेकिन बिहार के गया की सुरभि कुमारी ने अपनी नौकरी छोड़ महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का जिम्मा उठाया है। सुरभि पिछले पांच साल से बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माहवारी के समय महिलाओं को होने वाली परेशानियों को दूर करने का प्रयास कर रही हैं। वह करीब 20 हजार महिलाओं को अवेयरनेस कैम्प के माध्यम से माहवारी के दौरान कपड़े का उपयोग करने से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक कर चुकी हैं और अब महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करवाने का प्रयास कर रही हैं।
भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास
सुरभि कहती हैं कि हम भले ही माहवारी को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन स्थिति आज भी खराब है। इसे लेकर पिछड़े इलाकों में कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। वह उन्हें दूर करने का प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को सेनेटरी पैड्स उपलब्ध करवाने के लिए सेनेटरी पैड यूनिट स्थापित की है। वह कहती हैं कि उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मेंस्ट्रुअल कप के उपयोग के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस कप के उपयोग से महिलाएं माहवारी के समय कपड़ा यूज करने से होने वाली समस्या को दूर करने के साथ सेनेटरी पैड का खर्च बचा सकती हैं।
मानसिकता में बदलाव जरूरी
ग्रामीण परिवेश पली-बढ़ी 32 वर्षीय सुरभि कहती हैं कि बचपन से ही मैंने यहां लोगों के मन में पीरियड्स को लेकर जो माहौल देखा था, उसे बदलने के लिए लोगों को समझाना जरूरी था। मैं पढ़ाई के बाद एक न्यूज चैनल में नौकरी करने लगी। तब वहां खेताें में काम करने वाली महिलाओं की माहवारी को लेकर जो स्थिति देखी उसने मेरी जिंदगी को नया मकसद दिया। अपनी नौकरी छोड़ दी और हाइजीन को लेकर काम करने के लिए वर्ष 2019 में समर्थ संस्थान से जुड़ी। इसके बाद 2021 में मेरी सरकारी नौकरी लगी, घरवालों का दबाव था कि मैं सरकारी नौकरी कर लूं, लेकिन मुझे यह मंजूर नहीं था, और मैंने उसे भी छोड़ दिया।