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70 रुपए में वॉशेबल सेनेटरी पैड, हर बार धोकर पांच साल तक हो सकेगा इस्तेमाल

अब मासिक धर्म यानी पीरियड में महिलाओं को बार-बार सेनेटरी पैड खरीदने की जरूरत नहीं पड़़गी। रायगढ़ की रहने वाली आंत्रप्रेन्योर विनिता पटेल ने एक ऐसा सेनेटरी पैड तैयार किया है, जो पूरी तरह से वॉशेबल है। इस पैड की कीमत मात्र 70 रुपए है, जिसे धोकर 200 बार तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पैड का नाम है, आरुग।

छत्तीसगढ़ी में आरुग शब्द का मतलब स्वच्छता होता है। खास बात यह है कि यह वॉशेबल पैड पांच साल तक बिना किसी टेंशन के चल सकता है। महावारी के दौरान महिलाओं को महंगे सेनेटरी पैड के बोझ से आजादी दिलाने के इस आइडिया को टाटा ग्रुप ने सराहा है। यह आइडिया टाटा सोशल इंटरप्राइज चैलेंस के सेमीफाइनल राउंड में पहुंचा है, जहां विनिता टॉप-50 में शामिल हुई हैं। यही नहीं छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय की इन्क्यूबेशन सेल सीएसवीटीयू फोर्टे ने भी विनिता के इस स्टार्टअप आइडिया को दो लाख रुपए की शुरुआती फंडिंग जारी कर दी है।

इसलिए खास है यह पैड

विनिता ने बताया कि यह पैड यूनिसेफ की गाइडलाइन को फॉलो कर तैयार हुए तैयार किया गया है। पैड की ऊपर की लेयर फ्लिस फैबरिक से बनी है। जो पैड को वॉटरपूफ बनाती है। वहीं भीतर की तरफ पीयूएल फैबरिक का इस्तेमाल है। इसकी खासियत है कि महवारी के दौरान पैड पर दाग नहीं लगेंगे। पैड हमेशा ड्राई बना रहेगा।

यह पैड बाजार में बिकने वाले सामान्य पैड की तरह सभी साइज और शेप में उपलब्ध कराया गया है। जिस तरह सामान्य पैड को चिपकाने की जरूरत पड़ती है, इसमें वैसा नहीं है। इस पैड में बटन दिए गए हैं, जिन्हें लगाना होता है। इस पैड को सभी जरूरी मानको पर परखा गया है, जिसमें आईएसओ टेस्टिंग भी शामिल है।

सालाना 6000 रुपए की बचत

आम तौर पर मासिक धर्म के लिए पैड की खरीदने में महिलाओं को हर साल 12 से 1500 रुपए तक खर्च आता है, वहीं यह पैड महज 280 रुपए के चार पीस में पांच साल तक साथ निभाएंगे। इस तरह महिलाएं पैड की खरीदारी में करीब 6 हजार रुपए की बचत करेंगी।

अनोखा सोशल स्टार्टअप

विनिता ने बताया कि कई साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी करने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली तो बिजनेस में हाथ आजमाने का इरादा किया। तब सोचा कि क्यों न ऐसा स्टार्टअप किया जाए जो समाज को भी जोड़े और स्वच्छता को भी। इसके बाद काफी रिसर्च की और आखिर में वॉशेबल सेनेटरी पैड निर्माण करने का निर्णय लिया।

बाजार में बिकने वाले सामान्य सेनेटरी पैड में एक दर्जन से अधिक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे महिलाओं को कैंसर के साथ कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। जबकि उनका वॉशेबल पैड पूरी तरह कपड़े से तैयार किया गया है। यह खास मटेरियल है, जो स्वच्छता के साथ सेहत की गारंटी भी देता है। वहीं इस पैड को डिस्पोज करना भी आसान है। पैड पर्यावरण के लिए भी बिल्कुल सुरक्षित है, क्योंकि यह आसानी से डिस्पोज किया जा सकता है।

महिलाओं ने किया ट्रायल

विनिता बताती हैं कि उनका यह पैड सामान्य पैड की ही तरह 7 से 8 घंटों तक चल सकता है। इसके बाद इसे उतारकर वॉश करना होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण महिलाओं को होगा, जो सेनेटरी पैड का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि वह बहुत महंगे होते हैं। विनिता मानती हैं कि जिस तरह मासिक धर्म की जानकारी बालिकाओं को होना जरूरी है, वहीं जानकारी लडक़ों को भी मिलनी चाहिए।

इसके लिए उनका स्टार्टअप स्कूलों और कॉलेजों में जा कर सेमीनार के जरिए युवाओं को भी मैंस्टुअल हाईजीन की जानकारी दे रहा है। इसके अलावा सेनेटरी पैड ग्रामीण महिलाओं को वितरित भी किए गए हैं। सभी ने इसे उत्तम पाया है। महिलाओं का कहना है कि महंगे पैड से बचने के लिए वें कपड़े का इस्तेमाल कर रही थीं, लेकिन अब वही सेनेटरी पैड उनके बजट में हो पाएगा।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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