Advertisement Here

बेटी बनी बहू.. 1000 रुपए के लिए है ये सफर…

मैनपाट के कुनिया गांव की पथरीली राहों और दुश्वारियों के बीच सिस्टम में झोल की यह कहानी इंसानियत और समर्पण की मिसाल है। यहां हर महीने बहू अपनी सास को पीठ पर लादकर 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय करती है। रास्ते में उसे एक नाला और घाट पार करना पड़ता है।

वह भी सिर्फ इसलिए कि उन्हें वृद्धा पेंशन और महतारी वंदन योजना के नाम पर मिलने वाले 1000 रुपए मिल सकें। यह सफर कुनिया गांव से शुरू होकर नर्मदापुर स्थित सेंट्रल बैंक तक का है। सोमारी का बेटा कुछ सालों पहले तालाब में डूबकर चल बसा। ऐसे में बहू सुखमनिया ही उसके बुढ़ापे की लाठी है।

ऐसे हितग्राहियों तक राशि पहुंचाने का बैंक का नियम है। हमने हमारे क्षेत्र के सरपंच-सचिवों से कई बार ऐसे हितग्राहियों की सूची मांगी है, लेकिन सूची नहीं मिली। अगली बार से इस महिला को हमारे बैंककर्मी पैसा पहुंचा देंगे।

दीपक कुमार, ब्रांच मैनेजर, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, नर्मदापुर

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button