डॉक्टर ने कहा कभी वजन नहीं उठा पाओगी, जुनून ऐसा कि बनीं पावर लिफ्टर
संजीदा खातून, संडे गेस्ट एडिटर. एमसीबी (मनेंद्रगढ़, चिरमिरी, बैकुंठपुर) जिले की 53 साल की संजीदा खातून कहती हैं कि हर नारी को अपने अंदर का जुनून जगाए रखना चाहिए, मंजिल हासिल हो ही जाएगी। महिलाएं घर तक सीमित न रहें। उन्हें आगे बढ़ना चाहिए। आपके अंदर कुछ करने की चाह हो तो उम्र मायने नहीं रखती। मैं कभी सोचती भी नहीं थी कि पावर लिफ्टर बन पाऊंगी, लेकिन योग और परिवार के सहयोग से मैंने पावर, वेट और स्ट्रेंथ लिटिंग में अपनी पहचान बनाई और गोल्ड मेडल जीते।
डॉक्टर ने कहा कभी वजन नहीं उठाना
संजीदा 45 की उम्र में कई बीमारियों से घिर गईं। 3 माह में योग और संतुलित भोजन से अपना 24 किलो वजन कम किया। इस समय उनके कोच धर्मेंद्र दास जो खुद दिव्यांग हैं, उनका साथ मिला तो संजीदा ने जिम ज्वॉइन किया। उन्हीं से कुछ समय बाद ही पावर लिफ्टिंग का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद छोटे बड़े कुल 8 ऑपरेशन कराने के बाद जब स्पाइनल कार्ड का ऑपरेशन हुआ तो डॉक्टर ने कहा कि अब कभी वजन नहीं उठाना, लेकिन संजीदा ने पावर लिफ्टिंग में कई गोल्ड मेडल जीते।
अब लड़कियों को दे रहीं प्रशिक्षण
संजीदा पावर और स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में 5 बार राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के लिए गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। साथ ही 6 बार स्ट्रांग वुमन ऑफ छत्तीसगढ़ और 3 बार स्ट्रांग वुमन ऑफ इंडिया का भी खिताब जीत चुकी हैं। उन्हें देखकर कई महिलाएं मोटीवेट हुईं और संजीदा अब लड़कियों को योग के साथ ही पावर लिफ्टिंग का प्रशिक्षण देती हैं। उन्हें बाहर भी खिलाने ले जाती हैं।
संजीदा खातून ने नेपाल के काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय स्ट्रेंथ लिटिंग और इनक्लाइन बेंच प्रेस प्रतियोगिता में मास्टर वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर प्रदेश के साथ देश का नाम रोशन किया। इस प्रतियोगिता में 9 देशों के 300 खिलाड़ियों ने भाग लिया था, जिसमें स्ट्रेंथ लिटिंग में संजीदा ने 205.5 किलो वजन उठाकर मास्टर वर्ग में 2 गोल्ड मेडल जीते।
सरकार से नहीं मिलता सहयोग
संजीदा कहती हैं कि हमारे जिले में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलता। इस कारण हम कई प्रतियोगिताओं में जा नहीं पाते हैं। यदि सरकार से सहयोग मिलेगा तो हम बहुत सारे मेडल जीत सकते हैं।