सुनो द्रौपदी, शस्त्र उठा लो अब गोविंद ना आएंगे..
महिलाओं पर होने वाले अपराधों के खिलाफ एक स्पष्ट और मजबूत संदेश के रूप में, लेखक पुष्यमित्र उपाध्याय की कविता की यह पंक्तियां प्रेरित करती हैं कि महिलाएं खुद को बचाने के लिए स्वयं खड़ी हों। भगवान श्रीकृष्ण ने महिलाओं के प्रति विशेष स्नेह और समान प्रदर्शित किया है।
वे हमेशा उनकी रक्षा में तत्पर रहे हैं-एक सखा, प्रेमी, और रिश्तेदार के रूप में, लेकिन अब महिलाओं को स्वयं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कृष्ण की नीतियों को अपना कर, किसी का इंतजार किए बिना स्वयं अपनी सुरक्षा के लिए पहल करनी होगी।
खुद को मजबूत बनाएं महिलाएं
भगवान श्रीकृष्ण महिलाओं की संवेदनाओं और भावनाओं को गहराई से समझते थे और उनका समान करते थे। उन्होंने नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16,000 महिलाओं को मुक्त करवाकर उनके समान की रक्षा की और उन्हें समाज में एक समानित स्थान दिलाया। द्रौपदी की अस्मिता की रक्षा करते हुए, कृष्ण ने उनके संकट के समय हर संभव सहायता की और उनकी गरिमा को बनाए रखा।
उन्होंने अपनी बुआ कुंती का भी हर कठिन समय में साथ दिया। संकट के समय में महिलाओं की मदद के लिए वे हमेशा मौजूद रहे लेकिन अब समय आ गया है कि महिलाएं अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए किसी भी समझौते से इंकार करें। साथ ही, खुद को इतना मजबूत बनाएं कि किसी और से सहायता की आवश्यकता ही न पड़े।
- राकेश कुमावत, ज्योतिषाचार्य
गीता से लें ज्ञान
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का सारथी बनकर उन्हें गीता का ज्ञान दिया और महाभारत युद्ध में धर्म की विजय सुनिश्चित की। आज कृष्ण हमारे अंदर हैं। मेरा महिलाओं से यही कहना है, अपने अंदर के कृष्ण को जगाएं और अपने जीवन रूपी रथ की सारथी स्वयं बनें। गीता के ज्ञान को अपनाते हुए अपनी दिशा स्वयं निर्धारित करें। हम भले ही कोमल हो सकती हैं, लेकिन कायर नहीं हैं। इसलिए किसी को भी अपने ऊपर अत्याचार न करने दें और न ही जुल्म सहें। शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्तबनकर ही महिलाएं अपने अधिकार और समान की रक्षा कर सकती हैं।
-प्रो. विद्या जैन, शिक्षाविद्