निंदाई करते थे जो हाथ, अब करेंगे ऑपरेशन, बोलीं- पांचवीं में देखा था सपना, आज हुआ पूरा
नीट यूजी की काउंसिलिंग पूरी हो गई है। इसमें प्रयास रेसीडेंटल गर्ल्स स्कूल गुढ़ियारी की 13 छात्राओं का दाखिला एमबीबीएस के लिए हुआ है, वहीं दो छात्राओं ने बीडीएस में प्रवेश लिया है। इन सभी छात्राओं का प्रवेश राज्य के शासकीय मेडिकल कालेजों में हुआ है। कई छात्राएं ऐसे परिवार से हैं, जिनके परिवार में दूर-दूर तक कोई डॉक्टर नहीं बना। परिवार के संघर्ष और कम संसाधनों में भी छात्राओं का डॉक्टर बनने का सपना पूरा होने जा रहा है।
पांचवीं में देखा था सपना
कोरिया जिले के देवरी निवासी श्रेया पन्ना का चयन जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ेंगी। वे बताती हैं, मैंने पांचवीं से ही डॉक्टर बनने का फैसला कर लिया था। सपना पूरा होने में शिक्षकों के साथ पिता जगदेव राम पन्ना और मां आशा पन्ना की महत्वपूर्ण भूमिका रही। घरवालों ने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।
मां ने लगाए मेरे सपनों को पंख
कोंडागांव जिले के चिचारी गांव की रहने वाली अरुणा नेताम एमबीबीएस के लिए दुर्ग मेडिकल कालेज में चयन हुआ है। मां यमुना ने पति से अलग रहकर दो बच्चियों का पालन करते हुए बेहतर शिक्षा दी। अरुणा बताती हैं, मजदूरी और घर में सिलाई कर मां ने मेरा और बहन की परवरिश की। 2018 से वे रोजगार सहायक के रूप में कार्य कर रही हैं। मेरे सपने को पंख लगाने में मां ने अहम भूमिका निभाई।
तीन किमी तक पैदल जाती थी स्कूल
महासमुंद जिले के छोटे से गांव मोहनमुंडा की रहने वाली सेतकुमारी सिदार का चयन चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज दुर्ग में हुआ है। सेतकुमारी बताती हैं, अपने परिवार की मैं पहली डॉक्टर बनने जा रही हूं। पिता धर्नुजय कृषि कार्य करते हैं, मां दुधबाई उनका साथ देती है। पिता कहते थे कि तुम सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो। कभी-कभी मैं भी उनके साथ खेत चली जाती थी। निंदाई भी सीख गई थी। 10वीं तक घर से तीन किलोमीटर दूर पैदल स्कूल जाती थी। स्कूल में भी शिक्षकों की कमी थी। बड़ी बहन एमएससी कर रही है और छोटा भाई नौवीं में है।