Advertisement Here

Teachers day 2024: कैंसर से टूटी नहीं शिखा, कीमो और क्लास दोनों चलती रही

Teachers day2024: कैंसर का नाम सुनते ही पैरों तले जमीन खिसक जाती है। ऐसा लगता है मानों जिंदगी खत्म हो रही हो, लेकिन आपमें दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो आप उसे भी मात दे सकते हैं। ऐसी ही कहानी है छत्तीसगढ़ के बेमेतरा स्थित कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में इंग्लिश की टीचर शिखा विकास चौबे की। बीते साल जब उन्हें ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस्ट हुआ तो घर से लेकर स्कूल प्रबंधन हतप्रभ था।

शिखा ने खुद को मजबूत किया और इस बीमारी को खुद पर हावी होने नहीं दिया। बुधवार को राजधानी के वृंदावन हॉल में छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राह्मण समाज ने उनका सम्मान किया। इस दौरान शिखा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में अपनी जर्नी शेयर की। बोलीं- अभी मुझे 10 साल तक दवा लेनी है। शुगर के चलते मुझे रोजाना 4 बार इन्सुलिन लेनी पड़ती है। इतना होने पर भी मैंने जीवन का आनंद लेना नहीं छोड़ा।

खुद को बिजी रखने के कारण ही यह बीमारी मुझ पर हावी नहीं हो सकी

सालभर में मुझे 8 कीमो हुए। सिर के बाल झड़ गए इसलिए मैं विग पहनकर भी स्कूल जाती थी। स्कूल जाने के पीछे मकसद यह था कि घर में रहने से कहीं नकारात्मकता न आ जाए। हालांकि स्कूल प्रबंधन इसके पक्ष में नहीं था क्योंकि एक-दो बार मैं बेहोश भी हो गई थी। चूंकि मुझे लोगों को कैंसर से लडऩे की प्रेरणा भी देनी थी, इसलिए मैंने अपना हौसला बरकरार रखा। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने, साथियों से मिलने और हंसी-मजाक करने से मेरा समय आसानी से कट जाता था। मेरा बेबी सवा साल का था, घर में उसके साथ टाइम बिताती। खुद को बिजी रखने के कारण ही यह बीमारी मुझ पर हावी नहीं हो सकी।

Teachers day2024: जब गार्ड ने कहा- पेशेंट को लाइए

नया रायपुर के निजी अस्पताल में मेरा इलाज हुआ। जब मैं 7वें कीमो के लिए डॉक्टर से मिलने गई तो वहां मौजूद गार्ड ने कहा कि कहा कि पेशेंट को भेजिए, आप यहीं रुकिए। मैं हंसकर कहा कि अरे मैं ही हूं मरीज। जब हम रेडिएशन के लिए गए तो डॉक्टर मार्किंग के लिए टैटू बना रहे थे। मैंने उनसे चुटकी लेते हुए कहा कि टैटू बना ही रहे हैं तो कोई डिजाइन बना दीजिए। इतना सुनकर डॉक्टर भी हंस पड़े।

कैंसर पीडि़तों के लिए शिखा के प्रेरक विचार

हार नहीं माननी: जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़े, लेकिन हार नहीं माननी चाहिए। मुझे भी कैंसर हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और स्कूल जाना जारी रखा।

सकारात्मक सोच: कैंसर जैसी बीमारी के समय में सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है। इससे हमें अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद मिलती है।

आत्मविश्वास रखें: हमें अपने जीवन में आत्मविश्वास रखना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button