छत्तीसगढ़ी गीतों की बाल गायिका आरू साहू ने कम उम्र में बनाई पहचान, बोलीं- एक समय था जब मैं टूट गई थी..
बचपन से गायिकी के क्षेत्र में कदम रख चुकीं आरू साहू लोकगायन में जाना पहचाना नाम हैं। अभी वह 11वीं कक्षा की छात्रा हैं लेकिन उनका मन गायिकी में रमा हुआ है। लोकगायन में उनकी आवाज बेहद पसंद की जा रही है। यही वजह है कि वह लगातार लाइव शोज कर रही हैं। आरू ने बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला है।
गायन ने उन्हें आकर्षित किया है। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही गायन करना शुरू कर दिया था। उनकी शुरुआत छत्तीसगढ़ी धार्मिक एल्बम से हुई और रीजनल फिल्मों में भी अपनी आवाज दी। अब हिंदी एल्बम भी बना रही हैं।
जब विरोध का सामना करना पड़ा…
वह बताती हैं कि उन्हें कम उम्र में प्रसिद्धि के साथ ही विरोध का सामना भी करना पड़ा। छठ पूजा पर गाने की वजह से उन पर दूसरे प्रदेश की संस्कृति को प्रमोट करने का आरोप भी लगा लेकिन उन्होंने बड़ी सादगी से इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा था कि मुझे आशीर्वाद दें कि मैं छत्तीसगढ़ महतारी के साथ-साथ अपने देश की कला-संस्कृति को दुनियाभर में स्थान दिला सकूं।
मां हर कदम पर देतीं साथ
आरू बताती हैं कि जब मेरे कुछ गाने वायरल हुए, तो मम्मी ने सोशल मीडिया में अकाउंट बना दिया। तब से इसे वह ही इसे हैंडल करती हैं। मेरे हर लाइव शो में साथ जाती हैं। आरू की मां पूर्णिमा साहू का कहना है कि कक्षा 6वीं में आने के बाद आरू का एक वीडियो काफी वायरल हुआ व इससे पहचान मिली। आरू कहती हैं कि संगीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति को न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में फैलाना चाहती हैं। संगीत का फ्यूजन कर लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं।