नारी शक्ति: इनकी उंगलियों में ‘जादू’, छूकर ढूंढ लेती हैं कैंसर
कमजोरी को ही यदि खूबी बना लिया जाए तो जीवन की दिशा बदल जाती है। बेंगलूरु में आरटी नगर की 24 वर्षीय आयशा बानू और कोलार की 29 वर्ष की नूरुन्निसा ने भी ऐसा ही किया। दोनों ही दृष्टिहीन होने के बावजूद स्पर्श की शक्ति से लोगों की जान बचा रही हैं।
यहां साइटकेयर हॉस्पिटल में ये अपने कौशल और स्पर्श ज्ञान के बल पर हाथों से ब्रेस्ट कैंसर गंभीरता बता देती हैं। खास बात ये है कि अंगुलियों की जांच से ये जैसा बताती हैं, वही अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राफ और अन्य क्लिनिकल जांच में आता है।
विकल्प के रूप में उभरी है ‘मैजिक फिंगर्स’
कुछ महिलाएं इनसे ही जांच करवाना पसंद करती है। तर्क यह है कि ऑन्कोलॉजिस्ट से जांच करवाने की बजाय इनसे जांच करवाने में गोपनीयता बनी रहती है। साइटकेयर हॉस्पिटल्स में ब्रेस्ट ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूवम्मा कहती हैं कि भारत में दृष्टिबाधित लोगों को विज्ञान के क्षेत्र में स्वीकार नहीं किया जाता, लेकिन मैजिक फिंगर्स जैसी पहल चिकित्सा के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए एक विकल्प के रूप में उभरी है। मैजिक फिंगर्स का उद्देश्य स्तर कैंसर की शुरुआती अवस्था की पहचान करना है।
दोनों की एक जैसी कहानी
आयशा और नूरुन्निसा ने छोटी उम्र ही बीमारी के कारण दृष्टि गंवा दी थी। इसके बाद दोनों ने ग्रेजुएशन के लिए काफी चुनौतियां का सामना किया। आखिर मैजिक फिंगर्स ने उन्हें जीवन के अर्थ दिए। अब वे अपने क्षेत्र में पूरी तरह दक्ष हैं। इनको पुतलों के जरिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। आयशा अब तक दो हजार से ज्यादा महिलाओं की जांच कर चुकी हैं। वह अपनी आय का कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए दान करती हैं।