She News: दादी का सपना पूरा करने के लिए बनीं तीरंदाज
राष्ट्रीय स्तर पर 12 गोल्ड सहित 22 मेडल जीत चुकीं रांची, झारखण्ड की दीप्ति कुमारी ने तीरंदाज बनने का सफर अपनी दादी का सपना पूरा करने के लिए तय किया। दीप्ति जब 5वीं कक्षा में थी तो उनकी दादी को किसी ने बताया की तीरंदाजी का कपीटिशन चल रहा है। वह दीप्ति को उसमें भाग लेने के लिए लेकर र्गइं और वहीं से सफर शुरू हुआ। उनकी दादी चाहती थीं कि वह एक दिन बहुत बड़ी तीरंदाज बने। इसके बाद दीप्ति ने प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 12 गोल्ड, सात सिल्वर, और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।
धनुष टूट जाने की वजह से हो गई थीं डिसक्वालिफाई
दीप्ति बताती हैं कि साल 2012 में एक टूर्नामेंट के दौरान उनका सात लाख रुपए का धनुष टूट गया था। इस वजह से वो पूरा ट्रायल नहीं दे पाई और डिसक्वालिफाई हो गई। उनके अनुसार, घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसी समय दूसरा धनुष ले पाना मुश्किल था। इस वजह से वह टूर्नामेंट बीच में छोड़कर घर चली र्गइं।
संघर्षों से भरा है दीप्ति का जीवन
दीप्ति का जीवन संघर्षों भरा रहा। राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज होते हुए भी उन्हें चाय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि दीप्ति किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानतीं। वह कहती हैं कि परिवार के लिए उन्हें चाय की दुकान चलाने में कोई परहेज नहीं है। उन्हाेंने बताया कि मेरी मां ने मुझे लोन लेकर धनुष लाकर दिया था, जिसको चुकाने व परिवार की बड़ी बेटी होने का फर्ज निभाने के लिए, वह यह चाय का काम करती हैं। वह बताती हैं कि उनकी मां की किडनी खराब है और पिता बीमार रहते हैं। उनका सपना हैं कि वह जल्दी ही देश के लिए फिर से खेलना शुरू करें।