Diwali 2024: दीपावली पर बाजारों में आई सेहत की टोकरी, लोगों में बढ़ी डिमांड, जानें खासियत
इस दीपावली जहां बाजारों में गिफ्ट पैक्स की भरमार है। वहीं, छत्तीसगढ़ का वन विभाग एक अनोखी पेशकश के साथ आया है। ’’सेहत की टोकरी’’ नामक यह उपहार पैक न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। इसकी संजीवनी केंद्रों में काफी डिमांड है। यह टोकरी वन क्षेत्रों से एकत्रित हर्बल उत्पादों और औषधियों से सजी हुई है, जिनमें कोदो कुकीज़, रागी कुकीज़, इमली कैंडी, वाइल्ड फॉरेस्ट हनी और अन्य स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद शामिल हैं। इस विशेष उपहार पैक की कीमत? 999 रखी गई है, जिसे छत्तीसगढ़ के 32 संजीवनी केंद्रों पर आसानी से खरीदा जा सकता है।
सेहत की टोकरी में यह है खास
इस दिवाली वन विभाग ने हर्बल उत्पादों को लेकर एक विशेष उपहार पेश किया है। ‘‘सेहत की टोकरी’’ नामक इस पैक में शुद्ध जड़ी-बूटियां और वनवासी महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा, जंगलों से एकत्रित शुद्ध वाइल्ड फॉरेस्ट हनी न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बल्कि स्वाद में भी अद्वितीय होता है। इस उपहार पैक की खासियत यह है कि इसे बांस की पारंपरिक टोकरियों में पैक किया गया है।
संजीवनी केंद्र की बढ़ती लोकप्रियता
संजीवनी केंद्र प्रभारी गौरव तिवारी, सीनियर एग्जीक्यूटिव ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाना है, बल्कि आदिवासी महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना भी है। छत्तीसगढ़ में 32 संजीवनी केंद्रों पर इस ‘‘सेहत की टोकरी’’ की काफी मांग देखी जा रही है। यहां फिलहाल 6,000 से ज्यादा पैकेट तैयार किए गए हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है। कलेक्ट्रेट परिसर में लगे संजीवनी केंद्रों के विशेष स्टॉल्स पर ग्राहकों की भीड़ लगातार बनी हुई है। दीपावली के मौके पर इन हर्बल उत्पादों पर विशेष छूट भी दी जा रही है।
सही उपहार, सही सेहत
दिवाली पर जब हर कोई अपने प्रियजनों को विशेष उपहार देना चाहता है, इसमें ’’सेहत की टोकरी’’ एक बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल आपके परिवार और दोस्तों की सेहत का याल रखेगा, बल्कि वनवासी महिलाओं की मेहनत और उनकी शुद्धता को भी समान देगा। छत्तीसगढ़ के वन विभाग का यह कदम समाज को एक स्वस्थ विकल्प प्रदान कर रहा है और वनवासी महिलाओं की आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित कर रहा है।
महिला सशक्तीकरण की मिशाल
प्रधानमंत्री वन धन योजना के अंतर्गत आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए यह उत्पाद न केवल उनके आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है, बल्कि इन्हें समाज के मुयधारा में लाने का भी प्रयास है। इन उत्पादों को बेचकर वनवासी महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। वन क्षेत्रों से प्राप्त जड़ी-बूटियों और अन्य उत्पादों का उपयोग कर महिलाएं अपने गांवों में ही रोजगार कमा रही हैं, जिससे उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित हो रहा है।