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Aashish Khan Passed Away: मौन हुए खुद को हिंदू घोषित करने वाले आशीष खान के सुर

सतना. संगीत के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खान के पौत्र आशीष खान देब शर्मा (85) का 14 नवंबर को कैलिफोर्निया (अमरीका) में निधन हो गया। उन्होंने 2006 में खुद को हिंदू बताते हुए अपने नाम के आगे देब शर्मा जोड़ना शुरू कर दिया था। बाबा अलाउद्दीन खान से संगीत की शिक्षा प्राप्त करने वाले वह आखिरी जीवित कलाकार थे। सरोद वादक के रूप में पहचान बनाने वाले आशीष को 2005 में भारत का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था। उन्हें 2006 में सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक विश्व संगीत एल्बम श्रेणी में ग्रेमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। वह कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ द आर्ट्स और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारतीय शास्त्रीय संगीत के सहायक प्रोफेसर भी रहे।

आशीष खान का जन्म मैहर में हुआ था। उनका लालन-पालन उनके दादा उस्ताद अलाउद्दीन खान ने किया। मैहर में ही उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। पांच साल की आयु से उस्ताद अलाउद्दीन खान ने संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी। वह 12 से 13 घंटे का संगीत का प्रशिक्षण और रियाज कराते थे। आशीष ने 13 साल की आयु में अलाउद्दीन खान के साथ ऑल इंडिया रेडियो पर अपना पहला प्रदर्शन किया।

उन्होंने उसी साल दादा और पिता अली अकबर खान के साथ कोलकाता के तानसेन संगीत सम्मेलन में अपनी कला का प्रदर्शन किया। दादा के अलावा उनके सरोद वादन को उनकी पिशिमा (बुआ) अन्नपूर्णा देवी ने निखारा। पिता अली अकबर खान भी शास्त्रीय संगीत के साधक और प्रसिद्ध सरोद वादक थे। आशीष ने कई फिल्मों में भी संगीत दिया। इनमें सत्यजीत रे की ‘अपुर संसार’, पारस पत्थर, जलसाघर, रिचर्ड एडिनबरो की ‘गांधी’ शामिल हैं। जॉन ह्यूस्टन की फिल्म ‘द मैन हू वुड बी किंग’, डेविड लीन की ‘ए पैसेज टू इंडिया’ के अलावा तपन सिन्हा की ‘जोतुर्गिहा’ का भी संगीत तैयार किया।

संगीत के क्षेत्र में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

आशीष खान देब शर्मा ने भारतीय उप महाद्वीप के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रीय संगीत विधा का लोहा मनवाया। भारतीय संगीत को वैश्विक रूप देने के लिए उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ इंडो-अमेरिकन म्यूजिक ग्रुप ’शांति’ की स्थापना की। उन्होंने फ्यूजन ग्रुप ’द थर्ड आई’ की स्थापना भी की। वह रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के अध्येता बनने वाले पहले भारतीय संगीतकार थे।

… और नहीं हो सकी शादी

आशीष खान के पिता अली अकबर उनका विवाह प्रसिद्ध तबला वादक अल्लारखा की बेटी से करना चाहते थे। आशीष जिस बक्से में सरोद रखते थे, उसमें मां शारदा की फोटो भी होती थी। अल्लारखा की पत्नी ने कहा कि हमारे इस्लाम में ऐसी इबादत वर्जित है। अल्लारखा ने इसकी चर्चा अलाउद्दीन खान से की। अलाउद्दीन ने अपनी ओर से ही रिश्ता तोड़ दिया।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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