Nari Shakti: अनेशी ने बदली गांव की तस्वीर, खुली रोजगार की राह
सरिता दुबे. आजादी के बाद गरियाबंद के खलियापानी गांव में सरकारी योजनाएं तो दूर एक भी सरकारी अधिकारी नहीं गया था। छुरा ब्लॉक के इस गांव में विशेष पिछड़ी जनजाति भूंजिया समुदाय के लगभग 30 घरों की बसाहट है। इसी समुदाय की 39 साल की अनेशी बाई का बच्चा दिव्यांग है।
एक बार अनेशी बाई के गांव में कुछ पत्रकार आए तो अनेशी ने बताया कि यहां कोई सरकारी अधिकारी नहीं आता, न ही हम लोगों के आधार कार्ड और राशन कार्ड बने है। मेरा बेटा दिव्यांग है लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। जब कुछ दिनों बाद अखबारों में यह खबर प्रकाशित हुई तो गांव के सरपंच और जनप्रतिनिधि अनेशी बाई को डराने लगे, लेकिन अनेशी डरी नहीं और अपने हक के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करने लगी।
अनेशी ने बताया कि जब गांव के जनप्रतिनिधि हमारा विरोध कर रहे थे तो उस समय लोक आस्था सेवा संस्थान का सहारा मिला और हमें बहुत सी जानकारी मिली। इसके बाद मैंने गांव की कई महिलाओं को जागरूक किया कि हमें अपने हक के लिए आगे आना होगा। इस तरह हमारा कारवां आगे बढ़ा और हम गांव से निकलकर शहर तक पहुंचे।
पहली बार पक्की सड़क और इमारत देखी
अनेशी बाई कहती हैं कि पहली बार हमने पक्की सड़क और इमारत देखी, क्योंकि हमारे गांव में तो सड़क भी नहीं बनी थी। भूमि सुधार के लिए जब हमें लोकपाल के पास जाना पड़ा तब जाकर हमने नई दुनिया देखी। अनेशी ने बताया कि गांव में रोजगार की भी समस्या थी पंचायत स्तर पर काम नहीं मिल रहा था। ऐसे समय में लोक आस्था सेवा संस्थान ने हमें रास्ता दिखाया और कई लोगों को मनरेगा के काम से जोड़ा गया।
पीने का पानी नहीं आता था
अनेशी बाई के गांव में पीने के पानी की समस्या थी, लेकिन अब अनेशी के प्रयास से शासन से एक बोर की स्वीकृति मिल गई है। अनेशी बाई के प्रयास से ही गांव के कई लोगों के भूमि सुधार के केस हल हो रहे हैं। उन्हें अपनी जमीन का नक्शा और खसरा मिल रहा है।