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पूर्व सीएम कमलनाथ की कुशल रणनीति और टीम प्रबंधन के बल पर विजयपुर में विजय पताका लहराने में सफल हुई कांग्रेस

विजयपुर में कांग्रेस पार्टी की जीत के साथ वनमंत्री रामनिवास रावत के विरोध का भी हुआ प्रदर्शन

जीतू पटवारी, कुणाल चौधरी और भूपेश बघेल के बजाय विदर्भ की जिम्मेदारी कमलनाथ को मिलती तो परिणाम कुछ और दिखाई देते

बुधनी में भी कमलनाथ की रणनीति चलती तो परिणाम कुछ और होते

विजया पाठक, एडिटर, जगत विज़न

मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम जारी हो गये हैं। जारी परिणाम के अनुसार एक तरफ जहां भाजपा ने बुधनी विधानसभा सीट से अपनी जीत के क्रम को जारी रखा है। वहीं, दूसरी तरफ विजयपुर विधानसभा सीट से अति आत्मविश्वास से भरे मध्यप्रदेश के वनमंत्री रामनिवास रावत को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। प्रदेश में एक-एक सीट पर बराबरी के साथ उपचुनाव का यह क्रम फिलहाल कुछ समय के लिये शांत होता दिखाई पड़ रहा है। भाजपा जहां विजयपुर विधानसभा सीट में हार का आंकलन कर रही है वहीं कांग्रेस के नेता बुधनी विधानसभा सीट की हार का तिया-पांचा करने में जुटे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को विजयपुर में मिली जीत को राजनैतिक विश्लेषक अलग नजर से देख रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि विजयपुर में कांग्रेस की जीत पार्टी नहीं बल्कि बेहतर रणनीति का परिणाम है। हालांकि कमलनाथ स्‍वास्‍थ्‍य ठीक न होने के कारण विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में नही जा पाये। परंतु कमलनाथ के करीबी रितु सिकरवार जो मुरैना के लोकसभा प्रत्‍याशी थे उनकी पूरी टीम सक्रिय थी। अशोक सिंह भी कमलनाथ के करीबी थे वो भी सक्रिय थे। इन दोनों को कमलनाथ ने कहा था कि विजयपुर विधानसभा सीट हमें जीतनी है। विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को कमलनाथ ने शुभकामनाएं दी हैं और कहा कि यह जीत कांग्रेस के कार्यकर्ता की मेहनत की जीत है और कांग्रेस से ग़द्दारी करने वालों के लिए स्पष्ट सबक़ है। निश्चित ही विजयपुर में कांग्रेस की जीत में कमलनाथ का महत्‍वपूर्ण योगदान है। उनकी रणनीति का ही परिणाम है कि आज विजयपुर कांग्रेस की झोली में आ गई है।

अगर इसी रणनीति के क्रम को प्रदेश अध्यक्ष जीटू पटवारी ने बुधनी विधानसभा सीट पर जारी रखा होता तो शायद परिणाम कुछ और होता। जाहिर है कि राजनैतिक विश्लेषक विजयपुर विधानसभा सीट में मिली जीत का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को दे रहे हैं। यह कमलनाथ के कुशल रणनीति और टीम को साथ लेकर चलने के सकारात्मक रवैया ही है जिससे पार्टी को जीत प्राप्त हुई है। आगे भविष्‍य में भी प्रदेश को कुशल प्रबंधक और कुशल रणनीतिकार की आवश्‍यकता है जो प्रदेश में जमी बीजेपी से कड़ी टक्‍कर ले सके। कमलनाथ जैसे अनुभवी और दूरदर्शी नेता ही प्रदेश में कांग्रेस को पुन: जीवित कर सकते हैं। पार्टी आलाकमान को समय रहते विचार करना होगा।

सबको एकजुट कर चुनाव लड़ने की दी सीख

जिस समय प्रदेश में उपचुनाव की तारीखों की घोषणा हुई उसके बाद से ही लगातार यह देखने को मिला कि पार्टी कार्यकर्ता कमलनाथ के नेतृत्व में विजयपुर में सक्रिय हुए। जैसी की पार्टी के कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को उम्मीद थी कि कमलनाथ सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते है और उन्होंने उसी परिपाटी को आधार बनाते हुए कार्य किया और पार्टी के नाराज नेताओं, कार्यकर्ताओं को एकजुट कर टीम भावना के साथ कार्य करने के लिये प्रोत्साहित किया। जिसके बाद सभी कार्यकर्ताओं ने समर्पित होकर प्रचार किया और परिणाम आज सभी के सामने हैं।

टीम को साथ लेकर चलने का है अनुभव

कमलनाथ वर्तमान समय में प्रदेश कांग्रेस के ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जो पार्टी का नेतृत्व और टीम को साथ लेकर चलने में पूरी तरह से सक्षम हैं। उन्होंने वर्ष 2019-20 में मुख्यमंत्री की कुर्सी चले जाने के बाद भी अपनी सक्रियता को कम नहीं किया और लगातार प्रदेश कांग्रेस को सक्रिय बनाये रखा औऱ विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी। कमलनाथ की काबिलियत और उनके आत्मविश्वास को देखते हुए विशेषज्ञ पूरी तरह से अचंभित हैं कि आखिर पार्टी आलाकमान कमलनाथ को क्यों मुख्य धारा से दूर रखे हुए हैं। अगर आज प्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ की सक्रियता को बढ़ावा मिले तो निश्चित ही पार्टी को आने वाले समय में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

अगर विदर्भ में पटवारी, कुणाल चौधरी और बघेल की जगह कमलनाथ को मिलती जिम्मेदारी तो परिणाम कुछ और होते

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक होने के नाते मुझे पार्टी आलाकमान के फैसलों पर आश्चर्य होता है। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में उम्मीद थी कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी कमलनाथ को महाराष्ट्र विदर्भ में मुख्य जिम्मेदारी देंगे, लेकिन ऐसा बिलुकल नहीं हुआ और पार्टी आलाकमान ने एक ऐसे व्यक्ति को विदर्भ जैसे प्रमुख क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी जो अपने ही राज्य में भ्रष्टाचार का ताना बुन चुके हैं और ईडी और आयकर विभाग के चक्कर काट रहे हैं। अगर पार्टी ने भूपेश बघेल के बजाय विदर्भ में प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी कमलनाथ को दी होती तो परिणाम आज कुछ और देखने को मिलते।

छिंदवाड़ा की पहचान ही मेरा सपना है

पिछले दिनों कमलनाथ प्रदेश के दौरे पर निकले। इस दौरान वे छिंदवाड़ा पहुंचे और उन्होंने वहां जनता को संबोधित करते हुए अपने उस सपने का जिक्र कर दिया जिसे उन्होंने लगभग तीस-चालीस वर्ष पहले देखा था। लगभग तीन दशक से भी अधिक समय की अपनी कड़ी मेहनत से कमलनाथ ने छिंदवाड़ा को एक पहचान दिलाने का काम किया। कमलनाथ ने कहा आपकी तरह मेरा भी एक सपना है कि छिंदवाड़ा की पहचान पूरे देश में बने। आज कहीं भी जाओ आप गर्व से कह सकते हैं कि मैं छिंदवाड़ा से आया हूं। मैं कहीं भी जाता हूं तो छिंदवाड़ा के युवा मुझे काम करते नजर आ जाते हैं। मुझे अच्छा लगता है कि पिछले 50 सालों से मेरे ऊपर किसी तरह का कोई दाग नहीं लगा। न ही कोई उंगली उठा सकता।

जनता ने सही सबक सिखाया रावत को

प्रदेश और देश में पिछले कुछ वर्षों से दल बदल की राजनीति का बुरा खेल चल रहा है। इस खेल से जहां एक ओर जनता के विश्वास के साथ नेता छल करते हैं वहीं जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी का खुला खेल चलता दिखाई दे रहा था। विजयपुर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। सत्ता और मंत्रीपद के लालच में कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए रामनिवास रावत को भाजपा ने वनमंत्री का सरताज दिया। मंत्री पद प्राप्त होते ही रावत साहब ने उसी जनता को अनदेखा करना शुरू कर दिया जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाया। नतीजा यह हुआ कि जनता को यह समझ आया कि दल बदल के इस खेल को समाप्त करने का समय आ गया है और जनता ने उपचुनाव में रावत का जबरदस्त विरोध किया और मुकेश मल्होत्रा को मतदान देकर विजयी बनाया। रामनिवास रावत के साथ जो कुछ भी हुआ यह प्रदेश के राजनेताओं के लिये एक उदाहरण भी है कि जनता आपके किये पर बारीकी से नजर रखे हुए है और समय आते ही आपको उसका जबाव देने से बिल्कुल नहीं चूकेगी।

कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में विधायक निधि से दिये 50 लाख

पूर्व मुख्यमंत्री एवं छिंदवाड़ा विधायक कमलनाथ ने विधायक निधि से नगर पालिक निगम के अन्तर्गत आने वाले गांव, कस्बों व वार्डों में 50 लाख रुपयों की लागत से 33 निर्माण होंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के निवासरत परिवारों को सीधा लाभ पहुंचेगा। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोजेक्टर, कम्प्यूटर, पक्की नाली का निर्माण, मोक्षधाम का सौंदर्यीकरण, सीसी रोड निर्माण, चबूतरा का निर्माण, टीन शेड का निर्माण व मंदिरों के समीप में सार्वजनिक उपयोग हेतु निर्माण के साथ ही पार्क का निर्माण किया जाएगा।

शिवपुरी की घटना पर कमलनाथ ने जताया अफसोस

शिवपुरी के इंदरगढ़ में एक दलित युवक की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड के बाद एक बार फिर साबित हो गया है कि मध्य प्रदेश में दलित वर्ग सुरक्षित नहीं है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटना नहीं होती हो। भाजपा के शासन में दबंगों के हौसले बढ़ रहे हैं और दलित तथा आदिवासियों के अत्याचार छीनना उनकी आदत बन गई है। दुर्भाग्य की बात है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस तरह के विषयों पर कुछ भी कहने से बचते हैं और दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि प्रदेश में दलित और आदिवासियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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