Nari Shakti: हमारी बेटियां किसी से कम नहीं… खेल-खेल में सीखे हुनर से बनाई नई पहचान
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के ब्रह्मनीकला गांव की 23 साल की ज्योति साहू कहती हैं कि खेल-खेल में बैंबू की चीजें बनाने लगी और कब यह शौक बन गया पता ही नहीं चला। अब बैंबू आर्ट हमारे परिवार का व्यवसाय बन गया है। बीते 15 साल से यह हमारे परिवार का सहारा है। ज्योति 5 साल की उम्र से ही बैंबू के सामान बनाना सीखने लगी थी और धीरे-धीरे परिवार के लोगों को भी सिखाने लगी। ज्योति बैंबू आर्ट का प्रशिक्षण देने बाहर भी जाती है। प्रदेश में लगने वाले हाट और मेलों में अपने बनाए सामान की प्रदर्शनी लगाती हैं।
घर से ही शुरू कर सकते हैं काम
ज्योति कहती हैं, आज भी गांव में लड़के और लड़कियों की परवरिश में भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को बाहर कमाने जाने से मना किया जाता है। ऐसे में निराश न हों, आप घर से भी काम शुरू कर अपनी अलग पहचान बना सकती हैं।
बैंबू के फैंसी आइटम शहर की पसंद
ज्योति बताती हैं कि बैंबू के सामान सूपा, परला और टोकनी तो बारह माह लोगों की मांग में बने रहते हैं, लेकिन आजकल लोग बैंबू के सामान घर की सजावट के लिए पसंद कर रहे हैं। जब हम शहर के हाट शिविर में जाते हैं तो लोग बैंबू फ्लावर, बैंबू ट्रे और नाइट लैंप पसंद करते है। उसी तरह गांवों में टोकरी, सूपा और परला लोगों की आवश्यकता के सामान होते हैं, जो पूरे समय उन्हें लेने पड़ते हैं।
हमारी लड़कियां किसी से कम नहीं
ज्योति के पिता संतोष सिंह कहते हैं कि हमारी लड़कियां किसी से भी कम नहीं है। हमारी बेटियों ने हमें भी सिखाया और उनके प्रयास का ही परिणाम है कि हम सभी लोग अब मिलजुल कर इस व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं।
अपने हुनर को निखारें महिलाएं
ज्योति का कहना है कि यदि महिलाएं अपने हुनर को पहचान लें तो परिवार की आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभा सकती हैं। हम तीन बहनें क्राफ्ट बनाने के साथ ही सिलाई भी करती हैं। यह काम हम घर से ही संचालित कर रही हैं।