She News: बहादुर पुलिस अधिकारियों में शुमार कंचन चौधरी

आपको टीवी का बहुचर्चित धारावाहिक उड़ान तो याद होगा। अगर आपकी उम्र 40 वर्ष या इससे ज्यादा है तो आपने इसे दिलचस्पी से जरूर देखा होगा। यह धारावाहिक भारत की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस कंचन चौधरी भट्टाचार्य के जीवन पर आधारित है। दिलचस्प बात यह है कि धारावाहिक की नायिका कविता चौधरी डीजीपी कंचन चौधरी की छोटी बहन ही थीं।

वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से वो और थे जो हार गए आसमान से

इन पंक्तियों को साकार करने वाली कंचन चौधरी को आज भी देश के सबसे बहादुर पुलिस अधिकारियों की सूची में गिना जाता है। साल 1973 के बैच की आइपीएस ऑफिसर कंचन 2004 में उत्तराखंड की डीजीपी बनीं। किरण बेदी के बाद वे देश की दूसरी आइपीएस ऑफिसर अधिकारी भी बनीं। 1973 से 2007 तक 30 वर्षों के लिए उन्होंने पुलिस विभाग को अपनी सेवाएं दीं।

कंचन ने राजकीय महिला महाविद्यालय अमृतसर से अपनी शिक्षा पूरी की। बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातकोत्तर किया। कंचन के पिता को किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने संपत्ति के झूठे मामले में फंसा दिया और पुलिस को प्रभावित कर बिना प्राथमिकी दर्ज कराए ही उन्हें गिरफ्तार करवाया और पिटवाया। इस घटना से कंचन को बहुत दुख पहुंचा। उन्होंने ठान लिया कि वे आइपीएस अधिकारी बनकर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होने से रोकेंगी।

पहली महिला डीजीपी के रूप में कंचन ने महिलाओं के खिलाफ पक्षपात से लड़ने का लक्ष्य रखा। उनकी पहल के कारण ही महिला होमगार्ड को शहरों में ट्रैफिक पॉइंट्स की जिम्मेदारी दी गई। वे कहती थीं ,मैं हमेशा कमजोर लोगों के साथ खड़ी रहूंगी। कंचन को 1997 में बेहतरीन ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। 2004 में उन्हें कैनकन, मैक्सिको में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।

अपने शानदार कॅॅरियर के दौरान उन्होंने 1987 में 7 बार के राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी की हत्या और रिलायंस बॉम्बे डाइंग मामले सहित कई संवेदनशील मामलों को संभाला। उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक ही वर्ष में 13 डकैतों को घर पर दबोचा। उन्होंने बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र में कई सफेदपोश अपराधों की भी जांच की और उनका पर्दाफाश किया। वे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की महानिरीक्षक भी रह चुकी हैं। 27 अगस्त 2019 में 72 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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