Nari Shakti: खूबसूरती का लोहा मनवा, डॉक्टरी का पेशा चुना, जानें भारत की पहली मिस वर्ल्ड की ये कहानी
23 अगस्त 1943 को मुंबई में रीता का जन्म एक मध्यमवर्गीय गोवन कैथोलिक परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के सेंट एग्नेस और सेंट जोसेफ स्कूल से ग्रहण की। वे शुरू से ही खेलकूद, पढ़ाई-लिखाई, सिलाई और चित्रकारी में दिलचस्पी रखती थीं।
स्कूल में उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ऑल राउंडर पुरस्कार भी मिला। रीता को बचपन से ही अस्थमा था। तभी से उन्होंने ठान लिया कि वे बड़ी होकर डॉक्टर बनेंगी। आगे चलकर उन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई शुरू भी कर दी और एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। आगे की पढ़ाई के लिए वे लंदन के किंग्स मेडिकल कॉलेज में चली गईं। लोग उनके दुबले-पतले शरीर और अत्यधिक लंबाई के लिए चिढ़ाते थे। लेकिन मेहनती और विवेकशील रीता ने इसका फायदा हॉकी खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए उठाया और बाद में अपनी इसी विशेषता के कारण उन्हें विश्व सुंदरी बनने का गौरव मिला। सबसे पहले उन्होंने जब मिस मुंबई क्राउन जीता तो उनके हौसले बुलंद हो गए। 1966 में इव्स वीकली मिस इंडिया प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया और इसमें भी विजय हासिल की। भारत सुंदरी का ताज हासिल करने के बाद उन्हें मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेने में जरा भी हिचक नहीं हुई। 1966 की मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भी वह विजयी घोषित हुईं।
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीतने वाली वह पहली भारतीय ही नहीं, बल्कि पहली एशियाई महिला थीं। इस जीत के बाद वह मुंबई में मानो स्टार बन गईं। उन्हें दनादन मॉडलिंग और फिल्मों में अभिनय के प्रस्ताव मिलने लगे, लेकिन संतुलित जीवन जीने वाली रीता ने ग्लैमर की दुनिया के बदले चिकित्सा का क्षेत्र चुना। 1971 में उनकी शादी अपने ही टीचर डॉक्टर डेविड पॉवेल से हो गई, जो एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट थे। रीता अपने पति से मिलना ईश्वरीय वरदान जैसा मानती हैं। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में पहनने वाली साड़ी उन्होंने मुंबई सरकार के एक तत्कालीन मंत्री से उधार में ली थी। इससे पहले उन्होंने कभी साड़ी नहीं पहनी थी। 81 वर्ष की उम्र में भी रीता पूरी तरह सक्रिय हैं। वे बागवानी करती हैं और अपने लिए ब्रेड और आइसक्रीम बना लेती हैं।