New Year 2025: ऐसे हुआ बारह महीनों का नामकरण!

वर्ष के महीनों से तो हम सभी परिचित हैं। क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के नाम कैसे पड़े? यहां पढ़ें महीनों के नामकरण से जुड़ी रोचक जानकारी।

जनवरी- रोमन देवता जेनस के नाम पर वर्ष के पहले माह ‘जनवरी’ का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे और दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है एवं दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में ‘जैनअरिस’ कहा जाता है। जेनस जो बाद में ‘जेनुअरी’ बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।

फरवरी- इस महीने का संबंध लेटिन के ‘फैबरा’ से है। इसका अर्थ है, ‘शुद्धि की दावत’ पहले इसी माह में 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं, जो संतानोत्पत्ति की देवी मानी गई है। महिलाएं इस माह में इस देवी की पूजा करती थीं। ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दें।

मार्च- रोमन देवता ‘मार्स’ के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। ‘मार्स मार्टिअस’ का अपभ्रंश है, जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। सर्दियां समाप्त होने पर तत्कालीन शासक शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।

अप्रैल- इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘एस्पेरायर’ से हुई। इसका अर्थ है ‘खुलना’। रोम में इसी माह कलियां खिलकर फूल बनती थीं। अर्थात वसंत का आगमन होता था। इसलिए प्रारंभ में इस माह का नाम ‘एप्रिलिस’ रखा गया। इसके बाद वर्ष में केवल दस माह होने के कारण यह वसंत से काफी दूर होता चला गया। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण की जानकारी से दुनिया को अवगत कराया। तब वर्ष में दो महीने और जोड़कर ‘एप्रिलिस’ का नाम पुन: सार्थक किया गया।

मई- रोमन देवता मरकरी की माता ‘मइया’ के नाम पर मई नामकरण हुआ। मई का तात्पर्य बड़े-बुजुर्ग रईस है। मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से मानी जाती है।

जून- इस महीने लोग शादी करके घर बसाते थे, इसलिए परिवार के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द ‘जेन्स’ के आधार पर जून का नामकरण हुआ। रोम में सबसे बड़े देवता जीयस को माना जात है एवं उनकी पत्नी का नाम है, ‘जूनो’। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ।

जुलाई- राजा जूलियस सीजर का जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई, इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।

अगस्त- जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया, जो बाद में केवल अगस्त रह गया।

सितंबर- रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है। इसका अर्थ है, सात एवं बर का अर्थ है वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां। किन्तु बाद में यह नौवां महीना बन गया।

अक्टूबर — इसे लैटिन ‘आक्ट’ (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवां कहते थे,लेकिन दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।

नवंबर- नवंबर को लैटिन में पहले ‘नोवेम्बर’ यानी नौवां कहा गया। ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला एवं इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा।

दिसंबर- इसी प्रकार लैटिन डेसेम के आधार पर दिसंबर को डेसेंबर कहा गया। वर्ष का बारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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