Woman Pride: शादी ही नहीं, कार्य-जीवन संतुलन व कॅरियर पर भी बात हो

समाज में समानता तभी संभव है, जब परिवार में बेटे-बेटी के बीच भेदभाव खत्म हो। समानता की शुरुआत घर से होनी चाहिए। लड़कों को घर के काम भी सिखाए जाएं और लड़कियों को भी आर्थिक आत्मनिर्भरता के बारे में समझाया जाए। लड़कियों को पढ़ाया जा रहा है, लेकिन उनकी पहचान और सपनों पर चर्चा कम होती है। शादी के बाद अक्सर उन पर कॅरियर छोड़ने का दबाव डाला जाता है। परिवार सहयोग करे, तो वे नौकरी और घर की जिम्मेदारियों को अच्छी तरह संभाल सकती हैं।

मैं मानती हूं कि शादी की योजना सिर्फ लड़कों को नहीं, बल्कि लड़कियों को भी बनानी चाहिए। चूंकि अब लड़कियां कामकाजी हैं तो शादी से पूर्व ही उन्हें अपनी फैमिली और वर्क-लाइफ के बारे में सभी बातें स्पष्ट रूप से तय करनी चाहिए। माता-पिता को बच्चों से शादी के अलावा कॅरियर और वर्क-लाइफ बैलेंस जैसे पहलुओं पर भी खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि महिलाओं को शादी के बाद अपना जॉब न छोड़ना पड़े।

तभी समाज बढ़ेगा समानता की ओर लड़का-लड़की के बीच समानता की भाव विकसित होना चाहिए। समाज में बदलाव आ रहा है और परिस्थितियां बेहतर हो रही हैं। जब लड़के-लड़की दोनों घर के कार्यों में बराबरी से भागीदार बनेंगे, तो समाज समानता की ओर बढ़ेगा।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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