She News: बेटियों की जिम्मेदारी ने दी आगे बढ़ने की हिम्मत

हौसला बुलंद हो तो हर मुश्किल से पार पाया जा सकता है। इसी बात को साबित करती हैं अलवर के मुबारिकपुर की नमिता चौधरी। पति की असमय मृत्यु और तीन छोटी बेटियों की जिम्मेदारी ने नमिता को टूटने नहीं दिया, बल्कि बेटियां उनका हौसला बनीं। आज वह उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो घर की सभी जिम्मेदारियां आने पर हार मान जाती हैं। कभी घर की चौखट के पार नहीं निकलने वाले परिवेश से ताल्लुक रखने वालीं नमिता ने वर्ष 2021 में पति की मृत्यु के बाद घर से बाहर निकलकर अपने पति की राशन की दुकान की जिम्मेदारी संभाली। शुरुआत में एक महिला को राशन वितरण करते देख सभी लोग आश्चर्यचकित होते। कुछ लोग जहां नमिता की प्रशंसा करते तो कुछ आलोचना भी करते, लेकिन नमिता ने हार नहीं मानते हुए अपना काम जारी रखा।
लोगों के ताने भी सुने
केवल राशन वितरण ही नहीं, बल्कि नमिता पढ़ाई भी कर रही हैं। उनकी बेटी जहां 12वीं कक्षा में है, वहीं नमिता अब बीएड कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। वह कहती हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। शादी के बाद व बच्चों की परवरिश के बीच पढ़ाई छूट गई। अब बेटियों ने उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत दी। जब वह पढ़ाई करने जाती तो लोगों को अजीब लगता, वे कहते कि इस उम्र में पढ़ाई करोगी, लेकिन नमिता ने बीएड किया व अब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए समय निकाल रही हैं।