Nari Shakti: गांव के लोगों को करती हैं सेहत के प्रति जागरूक

32 वर्षीय अमिता न केवल गांव के लोगों की चिकित्सकीय जांच करती हैं बल्कि उन्हें कम्यूनिटी हैल्थ के लिए जागरूक भी करती हैं। अमिता कहती हैं कि वह बचपन से ही चिकित्सा के क्षेत्र में काम करना चाहती थी, लेकिन 10वीं तक पढ़ाई के बाद शादी कर दी गई और फिर घर-गृहस्थी के कारण यह सपना पीछे छूट गया। कोरोना काल में उन्होंने देखा कि गांव में कई लोगों को बीपी, शुगर संबंधित बीमारी थी, लेकिन जांच व जानकारी के अभाव में वे लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उनकी मृत्यु हो गई। उन्हाेंने कहा, ‘इस बात ने मुझे काफी दुखी किया और मैंने एक संस्था की मदद से कई बीमारियों की मूलभूत जांचों का पता किया और उनकी ट्रेनिंग ली।’
प्रसुति व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राखी आर्य बताती हैं कि इस बीमारी से बचाव का सबसे आसान उपाय समय-समय पर टेस्ट करवाना है। गर्भास्य कैंसर के लिए डॉक्टर प्रारम्भिक तौर पर पैपस्मीयर टेस्ट करवाना होता है। महिलाओं को यह टेस्ट साल में तीन साल में एक बार करवाना चाहिए। इसके अलावा एलबीसी पांच साल में एक बार करवाया जाता है। अधिक गंभीर स्थिति में एचपी और एचपीवीडीएनए, काल्पोस्कोपी व बायस्ची करवाई जाती है।
सास ने दिया साथ
अमिता बताती हैं कि जब मैं गांवों में लोगाें की जांच करने के लिए जाती तो उन्हें मुझ पर विश्वास नहीं होता कि वे क्यों मुझसे स्वास्थ्य जांच करवाएं। लेकिन मैंने कई केसों को हल कर लोगों का विश्वास जीता। जब भी मैं बाहर के गांवों में जांच करने के लिए जाती तो कई लोग कहते कि महिला है, रात में अकेली कैसे जाएगी। इस पर मेरी सास ने मेरा साथ दिया और मुझे जाने की इजाजत दी। अब लोगों को मैं बेसिक बीमारियों की जांच करने की ट्रेनिंग देती हूं ताकि वे समय पर इलाज ले सकें।