नारी शक्ति: सड़क पर संघर्ष करने वाली भारत की पहली महिला ड्राइवर

ये महिला अनपढ़ नहीं है। इनके पास वाणिज्य और वकालत की डिग्री है। इसके बावजूद इन्होंने पेशे के रूप में ऐसा क्षेत्र चुना जो महिलाओं के लिए कभी था ही नहीं। भारीभरकम ट्रक चलाना और वो भी अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके महीने में कई कई दिन बाहर रहना कोई आसान काम तो नहीं था। लेकिन मजबूत इरादों वाली इस महिला ने सारे पूर्वाग्रह तोड़ते हुए भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर के रूप में खुद को स्थापित कर लिया।

योगिता महाराष्ट्र के नंदुरबार की निवासी हैं। वाणिज्य की पढ़ाई वे पहले ही कर चुकी थीं। शादी के बाद उनके पति ने उन्हें कानून की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन उनके पति की मृत्यु हो गई, तो उन्होंने कानून का अभ्यास करने के बजाय सड़क पर संघर्ष करना पसंद किया। इस संबंध में उनका नजरिया व्यावहारिक है।

वे कहती हैं, ‘अगर मैंने किसी वकील की जूनियर बनकर वकालत का पेशा चुना होता, तो मुझे शुरुआती कई सालों में बहुत कम पैसे मिलते। लेकिन ट्रक चलाने का मतलब था तुरंत वेतन और ज्यादा स्थिरता।’ उनके बच्चे, यशिका और यशविन छोटे थे और उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करना था। इसलिए उन्होंने ट्रक चलाने का निर्णय लिया। योगिता की पहली यात्रा भोपाल से अहमदाबाद की थी। इसके बाद उन्होंने व्यस्त शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक सभी तरह की सड़कों पर यात्रा की है, जिसमें यांत्रिक खराबी और चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। योगिता ने लगभग पूरे देश को अपने ट्रक से कवर किया है ।

एक वकील, दो बच्चों की मां और एक आत्मविश्वासी ट्रक चालक – योगिता रघुवंशी वर्ष 2000 से देश के कोने-कोने में अपने ट्रक को चला रही हैं। आज वे एक ट्रांसपोर्ट कंपनी की मालकिन के रूप में ट्रक चलाकर अपनी आजीविका चलाती हैं। यही अब उनकी आय का स्रोत है जिसकी मदद से वह अपने बच्चों यशिका और यशविन की देखभाल कर रही हैं और यह सुनिश्चित कर रही हैं कि वे अपनी शिक्षा पूरी करें। उनके दोनों बच्चे स्नातक छात्र हैं।

उनका कहना है कि वह कभी भी किसी चुनौती को चुनौती नहीं मानतीं। वे जानती हैं कि महिला ड्राइवर होने के कारण हाइवे पर मैकेनिक, ढाबे और दूसरी जगहों पर काम करने वाले लोग उन्हें घूरते हैं। लेकिन उन्हें इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे कहती हैं कि किसी को खुद पर भरोसा होना चाहिए और दुनिया जो भी सोचती है, उसके आगे नहीं झुकना चाहिए।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button