She News: खेती के लिए छोड़ा फिल्मी कॅरियर.. अब किसानों को दे रही हैं नई दिशा

‘जब जमीन बंजर हो और आपके सपने हरे-भरे हो तो आप बदलाव की कहानी खुद लिख सकते हैं।’ यह कहना है पुणे की स्नेहा राजगुरु पालीवाल का। 31 वर्षीय स्नेहा ने पुणे के पास तलेगांव जैसे बंजर भूमि क्षेत्र को एक सामंजस्यपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में बदलकर पर्यटकों के लिए आकर्षण का क्षेत्र बना दिया। वह कहती हैं कि इस क्षेत्र में खेती एक चुनौतिपूर्ण काम था, क्योंकि यहां मिट्टी नहीं थी और पथरीली जमीन थी। ऐसे में यहां सब्जियां उगाना किसानों के लिए मुश्किल काम था। उन्होंने पिता अनिल राजगुरु के साथ मिलकर पर्माकल्चर तकनीक से एक एकड़ की बंजर भूमि पर न केवल कीटनाशक मुक्त सब्जियां उगाने में सफलता पाई, बल्कि इसे अन्य किसानों को भी सिखाया। आज इस क्षेत्र के किसान इस तकनीक से खेती कर खुशहाली ला रहे हैं।
यूं बदली जिंदगी
स्नेहा कहती हैं कि एक यात्रा के दौरान मैं पश्चिम बंगाल में रही। वहां जंगल में 52 दिनों ने मेरी जिंदगी बदल दी। यहां मुझे खेती की एक तकनीक पर्माकल्चर की अवधारणा का पता चला। ‘पर्मा मतलब परमानेंट और कल्चर मतलब खेती- परमानेंट खेती।’ मैंने इसे बंजर जगह पर अपनाने का मकसद बनाया। इसके बाद पिता से इस संबंध में बात की और पर्माकल्चर खेती करना सीखा। बुलबुल और लुका छुपी फिल्मों में स्क्रिप्ट सुपरवाइजर के तौर पर काम कर चुकी स्नेहा ने अपना फिल्मी कॅरियर छोड़ा और एक बंजर जमीन की तलाश की। दो साल मेहनत करने के बाद अब वहां रासायनिक उर्वरकों से मुक्त फसल तैयार हो रही है।

लोगों ने कहा-पागल
स्नेहा कहती हैं कि एक साल की मेहनत से हमने पुणे के पास इस क्षेत्र में बंजर भूमि खोजी। यहां रहने पर मुझे पता चला कि मिट्टी न होने के कारण यहां के लोग सब्जियां नहीं उगा पाते और बहुत कम सब्जियां खाने में प्रयोग करते हैं। इसलिए मैंने रेत मेड बनाई और सब्जियां उगाना शुरू किया। पहले साल तो लोगों ने मुझे पागल कहा और सलाह दी कि क्यों मैं अपना समय और पैसा बर्बाद कर रही हूं, लेकिन अब वे खुद इसी तकनीक से सब्जियां और फल उगाकर खुश हैं। इस बंजर जमीन पर अलग-अलग किस्मों के एक हजार से अधिक वृक्ष और 40 से अधिक किस्मों के फलों के वृक्ष हमने उगाए हैं।