कचरे से बनी कलाकृतियोें से पर्यावरण बचाने का संदेश

समुद्र किनारे फेंके जाने वाले कचरे को सुंदर कलाकृतियों का रूप देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं महाराष्ट्र के वसई की बंदना जैन। वह अपनी कला से न केवल समुद्री प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रही हैं, बल्कि 50 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवा चुकी हैं। वह बताती हैं कि कचरे से बनाई गई उनकी कलाकृतियां कला और संस्कृति को सहेजने के लिए प्रेरित करती हैं। इनमें अंजता की गुफाएं, गज प्रमुख हैं। उनकी कलाकृति ‘द फोर्स विदिन’ मुंबई की ताकत, स्थिरता और लचीलेपन को दर्शाने के कारण 2025 में मुंबई कला महोत्सव में लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी।
मां ने किया प्रेरित
बिहार में जन्मी बंदना बताती हैं कि बचपन से ही हम प्राकृतिक माहौल के करीब रहे। मैं रेखाचित्रों के माध्यम से बड़ी-बड़ी आकृतियां बनाती थी। मेरी इस आर्ट को मां ने पहचाना और मुझे कला की ओर जाने के लिए प्रेरित किया, हालांकि घरवाले चाहते थे कि मैं इंटीरियर डिजाइनर बनूं। जिमेदारियों के कारण मैं पढ़ाई नहीं कर सकी। 2008 में शादी के बाद मैंने अपनी कलात्मकता को फिर से आगे बढ़ाने के लिए पढ़ाई शुरू की और आगे बढ़ते हुए कचरे को नया रूप दिया।
पेपरमेशी से बनाए स्कल्पचर
बंदना बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान एक बार वह स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड यात्रा पर गईं। वहां कचरे के पृथक्करण और स्थिरता को देखकर उन्हें अहसास हुआ कि हम समुद्री पानी को कचरे के माध्यम से प्रदूषित कर रहे हैं। यहां टनों के हिसाब से प्रतिदिन कचरा महासागरों में फेंक दिया जाता है, जो कितना नुकसानदायक है। लेकिन इस कचरे को समुद्र में जाने से बचाने के लिए उसका कोई दूसरा उपयोग करना आवश्यक है। इसलिए उन्होंने कार्डबोर्ड को मूर्ति का रूप देने के लिए सोचा। वह कहती हैं कि 2013 में मैंने कचरे रूपी कार्डबोर्ड को एकत्रित करके पेपरमेशी के माध्यम से स्कप्लचर बनाना शुरू किया। इसके बाद इससे मैंने बड़ी-बड़ी कलाकृतियां बनाई। आर्ट एग्जीबिशन्स में लोगों ने इन्हें देखा और काफी पसंद किया।