कैंसर पीड़ित को एंबुलेंस नहीं मिली, परिजन को 3 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश

रेलवे स्टेशन में कैंसर पीड़ित महिला को एंबुलेंस न मिलने के मामले में हाईकोर्ट ने 3 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है, इसमें 1 लाख रुपए रेलवे और 2 लाख रुपए राज्य शासन को देना है। आदेश देने के साथ ही कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी। स्थानीय रेलवे स्टेशन में बीमारों को एंबुलेंस सुविधा नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। स्वास्थ्य विभाग और रेलवे की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने राज्य शासन और रेलवे को शपथपत्र देने कहा था। सोमवार को सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि रेलवे की ओर से स्टाफ भेजा गया था, पर वहां कोई नहीं मिला।

वहीं राज्य शासन की ओर से भी एंबुलेस सुविधा के संबन्ध में जानकारी दी गई। लेकिन कोर्ट ने इसे पर्याप्त न मानते हुए मृतका के परिजन को रेलवे और शासन की ओर से कुल 3 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिए। साथ ही भविष्य में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा और एंबुलेंस उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए याचिका निराकृत कर दी।

यह है मामला

बुढ़ार एमपी निवासी 62 वर्षीय कैंसर पीड़ित महिला 18 मार्च को अपने परिजनों के साथ ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के जनरल कोच में रायपुर से बिलासपुर आ रही थी। उसे बिलासपुर में ट्रेन बदल कर बुढ़ार जाना था। इसी बीच उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। ट्रेन के बिलासपुर पहुंचने पर इसकी जानकारी महिला के परिजन ने रेल कर्मचारियों को दी। महिला यात्री की स्थिति खराब होने की सूचना पर जनरल कोच में स्ट्रेचर भेजा गया। यहां कुलियों ने स्ट्रेचर में रख कर महिला को गेट के बाहर लाकर छोड़ दिया।

एक घंटे बाद आई और..

एक घंटे बाद एम्बुलेंस आई और मरीज की मौत हो जाने पर उसने ले जाने से इंकार कर दिया। बाद में परिजन दूसरे वाहन की व्यवस्था कर उसे ले गए। इसी तरह दंतेवाड़ा जिले के गीदम में 11 घंटे तक एंबुलेंस नहीं पहुंचने के कारण इलाज में देरी हुई और मरीज की मौत हो गई। परिजन बार-बार 108 को कॉल करते रहे। लेकिन, सुबह के बजाए एंबुलेंस रात में आई। इस मामले में सुनवाई अभी जारी है।

कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान व्यवस्था सुधार के लिए क्या किया जा रहा है। पूरी जानकारी प्रस्तुत करने कहा था। यह बताने भी कहा कि इमरजेंसी में एंबुलेंस सुविधा आखिर उपलब्ध क्यों नहीं हो पाती। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार की मुफ्त की योजनाएं हैं, फिर भी लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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