City Pride: स्कूल के बच्चे बता रहे कि हमें कुदरत को लौटाना भी है..

रायपुर. पर्यावरण के लिए काम करने और नवाचार के लिए छत्तीसगढ़ में अव्वल रहने वाले प्राइमरी स्कूल के इन बच्चों ने कुदरत को लौटाना तो सीखा ही, अन्य लोगों को भी पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। महासमुंद जिले के बागबाहरा विकासखंड के धरमपुर का यह प्राइमरी स्कूल प्रदेश में अपने नवाचार के लिए जाना जाता है। इस बार भी 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर इस स्कूल के कक्षा 3 और 4 के बच्चे एक हजार सीड बॉल को आसपास के गांवों में फैलाएंगे।

तीन साल पहले इन बच्चों ने सीड बॉल (खाद-मिट्टी की गेंद) के जरिए आसपास के गांव में बहुत दूर-दूर तक बीज रोपे थे। अब वे बीज पेड बन गए हैं और तीन साल से लगातार चल रहे बीजरोपण का यह अनोखा तरीका चर्चित भी रहा।

पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए बीजरोपण की इस तकनीक को शिक्षकों ने गूगल से सीखा और पर्यावरण को हरा-हरा बनाने की मुहिम में स्कूल के बच्चों के साथ जुट गए। इसमें कोई खर्च भी नहीं आया। बच्चों ने अपने घरों से खाद लाई और आसपास स्थित पेड़ों से नीचे गिरे बीजों को इकट्ठा किया। फिर सीड बॉल बनाना शुरू कर दिया। सीड बॉल में 60 फीसदी गीली मिट्टी और 40 फीसदी खाद होती है।

नवाचार में अव्वल है यह स्कूल

प्रधानपाठक रिंकल बग्गा के बताया कि सीड बॉल को गुलेल या हाथ से आसपास की खाली जगहों पर फेंका जाएगा। इसमें पानी पड़ते ही बीजों में अंकुरण शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया बीजरोपण की यह एकदम सरल विधि है और बच्चे खूब उत्साह से सीड बॉल बनाते हैं। इस स्कूल में जो भी अधिकारी आते हैं, बच्चे उन्हें सीड बॉल ही भेंट करते हैं। इस बार इमली, गुड़हल, बेर, सीताफल, मुनगा और करंज के सीड बॉल तैयार किए हैं। इसके साथ ही इस बार बच्चों से आम की गुठलियां मंगाई गई है, जिनके पौधे तैयार कर उन्हीं बच्चों के पैरेंट्स को दिए जाएंगे।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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