कार्टून प्रतियोगिता के परिणाम घोषित, आतंकवाद से नहीं डरेगा पर्यटक विषय पर हुआ था आयोजन

रायपुर: विश्व कार्टूनिस्ट दिवस पर देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका कार्टून वाॅच ने अखिल भारतीय स्तर पर कार्टून प्रतियोगिता का आयोजन किया है. संस्कृति विभाग और छ.ग.पर्यटन मंडल के सहयोग से होने वाले इस आयोजन में देश भर के कार्टूनिस्टों ने भाग लिया. इस वर्ष का विषय – आतंकवाद से नहीं डरेगा पर्यटक रखा गया था. कार्टून वाॅच के सम्पादक त्रयम्बक शर्मा ने बताया कि इतना जटिल विषय होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से रोचक और प्रेरक कार्टून प्राप्त हुये हैं. इन कार्टूनों की प्रदर्शनी 5 मई 2025 को रायपुर इंडियन काॅफी हाउस, सिविल लाइंस के सभागार में संध्या 5 बजे से लगाई जायेगी. यह प्रदर्शनी दो दिनों तक चलेगी.
श्री शर्मा ने बताया कि प्रतियोगिता को काफी अच्छा प्रतिसाद मिला और इसके परिणाम इस प्रकार रहे. दस हजार रूपये का प्रथम पुरस्कार, कर्नाटक के उदय विट्टल और बंेगलुरू के बिबेक सेनगुप्ता के मध्य बांटा गया, वहीं सात हजार रूपये का द्वितीय पुरस्कार पुणे के कपिल घोलाप और हैदराबाद के वल्लूरी कृष्णा के बीच बांटा गया और पांच हजार रूपये का तृतीय पुरस्कार भुवनेश्वर के देबाशीष और केरल के मनोज के मध्य बांटा गया.

इनके अलावा हजार हजार रूपये के बीस विशेष पुरस्कार भी 20 कार्टूनिस्टों को प्रदान किया जा रहा है जिनके नाम इस प्रकार हैं – उड़ीसा के अश्वनी अबनी, विशाखापटनम से बी हरी, तेलंगाना से भ्ूापति टुनुकी, रायपुर से दीपक शर्मा, महाराष्ट्र से दिनेश धंगवाल, के.जी. कदम और रविन्द्र बालापुरे, नई दिल्ली से किशोर मीणा, हैदराबाद से मृत्युंजय, मोहन कुमार और एसवीआर अरूण, आंध्र प्रदेश से एन हरि और एनवीआर नागिशेट्टी, बेंगलुरू से नाजुन्दा स्वामी और नागनाथ, मध्यप्रदेश से नीलशेखर हाण्डा और दिलीप शर्मा, केरल से मधुसूदनन और डांेगरगढ़ से वासुदेव हरदहा.

5 मई को विश्व कार्टूनिस्ट दिवस पर होगा आयोजन
श्री शर्मा ने बताया कि विश्व कार्टूनिस्ट दिवस पर इंडियन काॅफी हाउस, सिविल लाईन्स के सभागार में आॅन द स्पाट कार्टून बनाने का प्रदर्शन किया जायेगा. इसके लिये पुणे से कार्टूनिस्ट राजेश नाईक विशेष तौर पर रायपुर आ रहे हैं. इस दिन संगोष्ठी भी आयोजित होगी जिसका विषय है – क्या डाइंग आर्ट कही जाने वाली कला सचमुच समाप्त हो जायेगी ?
6 मई को होगी कैरीकेचर बनाने की कार्यशाला
कार्टून वाॅच के सम्पादक त्रयम्बक शर्मा ने बताया कि आज एप और घिबली जैसे एआई टूल्स का दौर है लेकिन इसके बावजूद हाथ से बनी कला की बात ही अलग है. कार्टून में चेहरे बनाने की कला को कैरीकेचर कहा जाता है. आज अच्छे से अच्छा फाइन आर्ट का छात्र स्केच तो बना सकता है लेकिन कार्टून नहीं बना सकता. पुणे से आये कार्टूनिस्ट राजेश नाईक संध्या 4 से 6 तक कैरीकेचर बनाने की कला पर कार्यशाला करेंगे. इस कार्यशाला के लिये गूगल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा और इसमें 15 वर्ष की आयु से कम के लोग भाग नहीं ले सकेंगे.